प्रदूषण के स्तर में इजाफा
राज्य के केवल 5 शहर ऐसे हैं, जिनकी हवा की गुणवत्ता ग्रीन जोन में मानी जा रही है। बाकी सभी शहरों में प्रदूषण की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। विशेषज्ञों के अनुसार प्रदूषण का मुख्य कारण अंदर की नमी और बाहर की तेज गर्मी है। दोनों कारणों के संयोजन से हवा में प्रदूषण के स्तर में इजाफा हो रहा है।
हवा में बढ़ रही धूल और सूक्ष्म कण
गर्मी में हवा की नमी बढऩे से वातावरण में सूक्ष्म कणों और धूल की मात्रा भी अधिक हो जाती है। जिससे प्रदूषण और ज्यादा बढ़ जाता है। तेज गर्मी के कारण वाहनों और औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाली धुंआ और वाहनों के कारण भी प्रदूषण में भी वृद्धि हो रही है। इसके अतिरिक्त, निर्माण कार्यों और जलवायु परिवर्तन के कारण हवा में प्रदूषण का स्तर अधिक हो रहा है।
गर्मी में एक्यूआई खराब होने का बड़ा कारण
जानकारों का मानना है कि अपने आस-पास के वातावरण को एक विशाल ओवन के रूप में मान लें। ग्रीष्मकाल में सूर्य के प्रकाश में गर्मी और विकिरण हवा को पकाते हैं। जिससे रासायनिक सूप (ओजोन) बनता है जो अन्य प्रदूषकों, पराग और मोल्ड के साथ मिलकर वायु की गुणवत्ता को खराब करता है।
सांस की बीमारियों का बड़ा कारण प्रदूषण
विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की हवा का असर मानव स्वास्थ्य पर बहुत गंभीर हो सकता है। लंबी अवधि तक प्रदूषण में रहने से सांस संबंधी बीमारियां का खतरा बहुत अधिक बढ़ जाता है। वहीं हृदय रोग और अस्थमा जैसी समस्याएं उभर आती है। बच्चों, बुजुर्गों और शारीरिक रूप से कमजोर लोगों के लिए स्थिति और भी खतरनाक हो सकती है। प्रदूषण से सेहत का खास ध्यान रखें और संभव हो तो घर के अंदर ही रहकर सुरक्षित रहें। जरूरी काम होने पर ही बाहर निकलें।
3 से 7 अप्रेल तक यलो जोन के शहर
प्रदेश के भरतपुर, भिवाड़ी, जयपुर, जोधपुर कोटा, अजमेर, बांसवाड़ा, बारां बाड़मेर, भीलवाड़ा बीकानेर बूंदी, चित्तौडगढ़़, चूरू, दौसा, धौलपुर हनुमानगढ़ जैसलमेर, जालोर, झालावाड़, झुंझुनू, करौली, नागौर, पाली, प्रतापगढ़, सवाईमाधोपुर, सीकर, श्रीगंगानगर व टोंक में एक्यूआई का स्तर 100 से लेकर 200 तक दर्ज हुआ है। इसके अलावा सवाई माधोपुर शहर में प्रदूषण का स्तर 200 को पार कर चुका है और ऑरेंज कैटेगरी में है।
केवल 5 शहर ग्रीन जोन
राज्य के केवल पांच शहर पिछले पांच दिनों से ग्रीन जोन में है। इसमें अलवर, उदयपुर, डूंगरपुर,सिरोही, राजसमंद, शामिल है।