रीको एरिया व डॉ. भीमराव अम्बेडकर आवासीय कॉलोनी के बीच खाली पड़ी सरकारी जमीन पर अब कचरे के ढेर लगाने शुरू कर दिए हैं। इससे यहां हर वक्त बदबू आती रहती है। सामने पॉलिटेक्निक कॉलेज है तो पास में जेएलएन अस्पताल, अल्पसंख्यक छात्रावास, बाल संप्रेषण गृह, आबकारी थाना व आवासीय कॉलोनी है, इसके बावजूद सडक़ किनारे कचरा डालकर प्रदूषण किया जा रहा है। रही-सही कसर रीको में फैक्टरियों चलाने वाले उद्यमी कर रहे हैं। कुछ फैक्टरियों का अपशिष्ट पदार्थ यहां डाला जा रहा है। तीन दिन पहले यहां भी किसी ने आग लगा दी, जिसे दमकल की सहायता से बुझाया गया। समय रहते आग नहीं बुझती तो बड़ा हादसा हो जाता, क्योंकि पास में गैस का गोदाम भी है।
धुंए से घुटता है दम गौरतलब है कि नागौर शहर से रोज 40 से 50 टन सूखा व गीला कचरा निकलता है, जिसे ऑटो टिपर, ट्रक व ट्रेक्टरट्रॉली में भरकर बालवा रोड पर बने डम्पिंग यार्ड में डाला जाता है, लेकिन पिछले तीन-चार साल से कचरे का निस्तारण नहीं होने से यहां कचरे के ढेर लग गए हैं, ऐसे में यहां कई बार आग लगा दी जाती है। पिछले कुछ समय से कचरे को डम्पिंग यार्ड के बाहर खुली पड़ी जमीन पर भी डाला जा रहा है और समय-समय पर उसमें आग लगाकर जला दिया जाता है, जिससे निकलने वाले जहरीले धुंए से आसपास रहने वाले लोगों का दम घुटता है।
प्लांट बनाने में ठेकेदार कर रहा देरी नगर परिषद की ओर से शहर से निकलने वाले कचरे का निस्तारण करने के लिए बालवा रोड डम्पिंग यार्ड में डेढ़ हैक्टेयर जमीन पर आरडीएफ व कंपोस्ट प्लांट तैयार हो रहा है। इसके टेंडर अगस्त 2023 में डीएलबी ने जारी किए और 26 अक्टूबर 2023 को नगर परिषद ने ठेकेदार को प्लांट बनाने के लिए डेढ़ हैक्टेयर जमीन दे दी। 3 मई 2024 को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से सीटीई जारी होने के बाद ठेकेदार ने काम शुरू किया, लेकिन धीमी गति के चलते आज भी काम अधूरा पड़ा है, जबकि ठेकेदार को मार्च 2025 तक प्लांट का काम पूरा करना था। प्लांट शुरू होने के बाद ठेकेदार को आगामी 20 साल तक रखरखाव व संचालन करना होगा। इस प्लांट में करीब 5 करोड़ का खर्च आएगा, जिसमें कुछ हिस्सा सरकार देगी और कुछ ठेकेदार अपनी ओर से लगाएगा और बाद में प्लांट से निकलने वाले आरडीएफ व कंपोस्ट को बेचकर वसूली करेगा।
जानिए , क्या है आरडीएफ और कंपोस्ट प्लांट आरडीएफ यानी अपशिष्ट व्युत्पन्न ईंधन, जो घरेलू और व्यावसायिक कचरे से बनाया जाता है। इसमें बायोडिग्रेडेबल सामग्री और प्लास्टिक होता है। कांच और धातु जैसी गैर-दहनशील सामग्री को हटाकर बाकी सामग्री को काटा जाता है। आरडीएफ को सीमेंट फैक्टरियों में भेजा जाता है। कंपोस्टिंग, इसमें पौधों और जानवरों के अपशिष्ट पदार्थों को सड़ाकर खाद में बदलने की प्रक्रिया है।
ठेकेदार नोटिस दिया है बालवा रोड डम्पिंग यार्ड में डेढ़ हैक्टेयर जमीन पर आरडीएफ व कंपोस्ट प्लांट तैयार करने वाले संवेदक को काम में देरी करने पर नोटिस जारी किया है। इसके साथ पॉलिटेक्निक कॉलेज के सामने कचरा डालने वालों की पहचान करके उनके खिलाफ कार्रवाई करेंगे।
– मनीष बिजारणिया, सहायक अभियंता, नगर परिषद, नागौर