गौरतलब है कि नागौर जिले के मूण्डवा, खींवसर, नागौर व मेड़ता तहसील क्षेत्र में उगाई जाने वाली नागौरी पान मैथी देश ही नहीं विदेशों में भी रसोई की खास मांग बनी हुई है। पान मैथी की मांग एवं गुणों को देखते हुए देश की कई नामी कम्पनियां इसे सालों से मसाले के रूप में प्रचारित कर बेच रही हैं। अपनी महक व औषधीय गुणों के चलते नागौरी मैथी का कारोबार दिनों-दिन बढ़ रहा है।
पत्रिका ने चलाया अभियान पान मैथी को मसाले के रूप जीआई टैग दिलाने के लिए राजस्थान पत्रिका पिछले चार साल से अभियान चला रही है। पत्रिका ने एक फरवरी 2024 को ‘पानमैथी को दुनिया मान रही मसाला पर सरकार नहीं’ शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया था। इसके बाद जिला कल्क्टर अरुण कुमार पुरोहित ने 27 फरवरी 2024 को पान मैथी को जीआई टैग दिलाने के लिए अनुसंधान करके ऑनलाइन आवेदन करने के लिए कमेटी गठित की थी। कमेटी ने धरातल पर काम करके रिपेार्ट कलक्टर के समक्ष पेश की तथा बैठकों के बाद आवेदन किया गया। 12 दिसम्बर 2024 को पत्रिका ने फिर ‘भारतीय मसाला बोर्ड की अनुसूची में शामिल नहीं हो रही नागौरी पान मैथी, कैसे मिलेगा जीआई टैग’ शीर्षक से समाचार प्रकाशित कर जिम्मेदारों का ध्यान दिलाया। पत्रिका के प्रयासों से सांसद हनुमान बेनीवाल ने इस मुद्दे को समय-समय पर लोकसभा में उठाकर सरकार से जीआई टैग देने की मांग की है। इससे पहले राजस्थान पत्रिका की ओर से चलाए गए अभियान के बाद ही राज्य सरकार ने पान मैथी को वर्ष 2017 में पान मैथी नोटिफाई कमोडिटी में शामिल किया था।
17 को होगी वीसी पान मैथी को जीआई टैग दिलाने के लिए गठित जिला कलक्टर की अध्यक्षता वाली कमेटी की ओर से आवेदन करने के बाद केन्द्र सकरार की ओर से मांगी गई जानकारी भी सबमिट कर दी है। कमेटी के सदस्य सचिव रघुनाथराम सिंवर ने बताया कि जीआई टैग से संबंधित आगामी 17 मार्च को वीसी है, जिसमें शामिल होने के लिए सूचना मिली है। कमेटी सदस्य डॉ. विकास पावडिय़ा ने बताया कि पान मैथी को स्पाइस बोर्ड ऑफ इंडिया की ओर से मसाला में शामिल करने के लिए गत दिनों जिला कलक्टर ने पत्र लिखा था। अब राज्य सरकार ने इसे मसाला श्रेणी में शामिल कर लिया है, जीआई टैग में इसका लाभ मिलेगा।
यह होंगे जीआई टैग के फायदे – उत्पाद को कानूनी सुरक्षा – उत्पाद के अनधिकृत उपयोग पर रोक – प्रमाणिकता का आश्वासन – राष्ट्रीय व अन्तरराष्ट्रीय बाजारों में जीआई टैग वस्तुओं की मांग बढने से उत्पादकों की समृद्धि को बढावा मिलता है
– उत्पाद की विश्वसनीयता को बढ़़ावा मिलता है।