scriptप्रदेश के सरकारी कॉलेजों में शारीरिक शिक्षक न खेल मैदान, फिर कैसे चक दे इंडिया… | Patrika News
नागौर

प्रदेश के सरकारी कॉलेजों में शारीरिक शिक्षक न खेल मैदान, फिर कैसे चक दे इंडिया…

प्रदेश की कॉलेजों में पुस्तकालयाध्यक्ष व शारीरिक शिक्षकों के 95 फीसदी से अधिक पद रिक्त, प्रदेश के अधिकतर सरकारी कॉलेजों में खेल के नाम पर पूरी हो रही औपचारिकता, बिना प्रशिक्षण भेजी जाती है टीमें

नागौरApr 10, 2025 / 11:19 am

shyam choudhary

Sports
नागौर. राजस्थान में खेलों का विकास करने के दावों की पोल खुल रही है। प्रदेश के 95 फीसदी सरकारी कॉलेजों में शारीरिक शिक्षकों के पद खाली पड़े हैं और पिछले लम्बे समय से भर्ती आयोजित नहीं करवाई की गई है, इससे स्थिति विकट हो रही है। राज्य सरकार व उच्च शिक्षा विभाग की अनदेखी का नुकसान कॉलेज व यूनिवर्सिटी में पढऩे वाले विद्यार्थियों को भुगतना पड़ रहा है। पिछले साल की राज्य सरकार की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश के उच्च शिक्षण संस्थानों में 555 शारीरिक प्रशिक्षक अनुदेशक (पीटीआई) के पद स्वीकृत हैं, जिनमें से 540 शारीरिक प्रशिक्षक अनुदेशक के पद रिक्त हैं, जबकि मात्र 15 पद भरे हुए हैं। ऐसे में सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि कॉलेजों में खेलों की स्थिति क्या होगी। कॉलेजों के पुस्तकालयों के भी यही हाल हैं, वहां भी ज्यादातर पद रिक्त पड़े हैं।
यह हैं हालात

राजस्थान सरकार के उच्च शिक्षा विभाग ने विधानसभा में एक प्रश्न का जवाब देते हुए बताया कि प्रदेश के विभिन्न राजकीय महाविद्यालयों में 555 पुस्तकालयाध्यक्ष एवं 555 शारीरिक प्रशिक्षक अनुदेशक (पीटीआई) के पद स्वीकृत हैं, जिनमें से 535 पुस्तकालयाध्यक्ष एवं 540 शारीरिक प्रशिक्षक अनुदेशक (पीटीआई) के पद रिक्त हैं।
…फिर भी आधे पदों पर भर्ती

राज्य सरकार ने बताया कि पुस्तकालयाध्यक्ष एवं शारीरिक प्रशिक्षक अनुदेशक के 247-247 (कुल 494) पदों की भर्ती का विज्ञापन राजस्थान लोक सेवा आयोग की ओर से जारी किया जाकर भर्ती परीक्षा का आयोजन किया जा चुका है। चयनित अभ्यर्थी उपलब्ध होने पर नियमानुसार रिक्त पदों को भरा जा सकेगा। यहां यह सवाल खड़ा होता है कि जब दोनों पोस्ट के लिए 1075 पद रिक्त हैं तो आरपीएससी ने 494 पदों के लिए भर्ती क्यों की? जबकि सरकार ने पिछले एक-डेढ़ साल में काफी कॉलेज और भी खोले हैं, जिनको मिलाकर कुल संख्या 631 से अधिक हो गई है। एक अन्य सवाल के जवाब में सरकार ने बताया कि प्रदेश के विभिन्न राजकीय महाविद्यालयों में पीटीआई के कुल 291 पद स्वीकृत हैं, जिनके विरूद्ध 15 कार्यरत व 276 पद रिक्त हैं। राजसेस के अन्तर्गत विभिन्न राजकीय महाविद्यालयों में पीटीआई के कुल 297 पद स्वीकृत हैं, जो सभी रिक्त हैं। यानी दोनों के मिलाकर 573 पद खाली हैं।
व्याख्याताओं को दी जिम्मेदारी

सरकारी कालेजों में चाहे पुस्तकालयाध्यक्ष हो या फिर पीटीआई, दोनों की जिम्मेदारी व्याख्याताओं को दी हुई है। हालांकि अतिरिक्त प्रभार वाले व्याख्याता काम चला रहे हैं, लेकिन जिस प्रकार एक पुस्तकालयाध्यक्ष या पीटीआई परिणाम दे सकता है, वो फिलहाल नहीं मिल रहा है। खेलों में तो छात्र खुद के दम पर तैयारी करते हैं। कॉलेजों में पीटीआई का चार्ज अन्य व्याख्याताओं को देने से खेलों की स्थिति चिंताजनक हो गई है।
373 महाविद्यालयों के नहीं खुद का खेल मैदान

प्रदेश के कुल 631 राजकीय व राजसेस महाविद्यालयों में से 373 राजकीय व राजसेस महाविद्यालयों के पास स्वयं का खेल मैदान नहीं है। इसमें अकेले नागौर जिले के 15 महाविद्यालयों के पास खेल मैदान नहीं है। यही हाल प्रदेश के अन्य जिलों के हैं।
आशानुरूप परिणाम नहीं मिल पाता

पूर्णकालिक पुस्तकालयाध्यक्ष एवं पीटीआई नहीं होने से आशानुरूप परिणाम नहीं मिल पाता है। पुस्तकालय में अतिरिक्त प्रभारी वाले प्रोफेसर को किताबों के वर्गीकरण सहित खरीद एवं अन्य प्रक्रिया की जानकारी नहीं होती है। इसी प्रकार पीटीआई नहीं होने से भी छात्र-छात्राओं को खेलों का नियमित अभ्यास नहीं करवाया जा सकता। जिले की सभी कॉलेजों में दोनों ही पोस्ट रिक्त हैं।
– डॉ. हरसुखराम छरंग, प्राचार्य व नोडल प्रभारी, श्री बीआर मिर्धा राजकीय कॉलेज, नागौर

Hindi News / Nagaur / प्रदेश के सरकारी कॉलेजों में शारीरिक शिक्षक न खेल मैदान, फिर कैसे चक दे इंडिया…

ट्रेंडिंग वीडियो