बताया जाता है कि परिसीमन की प्रक्रिया के दौरान सभापति से न तो इस संबंध में परिषद के अधिकारियों ने कोई मशविरा लिया , और न ही इसकी पूरी जानकारी दी गई। जबकि शहर का प्रथम नागरिक होने के नाते परिषद को इसकी जानकारी दी जानी चाहिए थी। सभापति ने ज्ञापन में बताया कि परिसीमन में कांग्रेसी मानसिकता वालों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से नियमों को ताक पर रखकर परिसीमन किया गया है। यही कारण है कि वार्ड 7, 8, वार्ड 51, 52, वार्ड 56,57, वार्ड 58, 59 की परस्पर सीमाएं नहीं मिलती है। इसके साथ वार्ड 52, 53, 54, 55, 56, 57, 58 एवं 59 की सीमाएं पूरी तरह से काल्पनिक है। इसमें जनसंख्या विभाजन का आधार ही काम नहीं लिया गया। इसी प्रकार वार्ड 53 में शामिल किए गए ताऊसर ब्लॉक के वार्डों की जनसंख्या का उल्लेख जान-बूझकर नहीं किया गया। ऐसा करने पर निर्धारित जनसंख्या से अधिकतम जनसंख्या होने की स्थिति में इसे शामिल नहीं कर सकते थे। वार्ड परिसीमन के प्रारूप के नक्शा सार्वजनिक स्थल पर चस्पा नहीं करने पूरा परिसीमन संदेह के घरे में हैं। इसी प्रकार भास्कर खजांची ने ज्ञापन देकर नए गठित वार्ड 36 में ब्लॉक संख्या 84, 96, 98 च 99 को नियम विरुद्ध बताते हुए नए सिरे से परिसीमन कराने की मांग की है।
ग्रामीओं के साथ माली समाज अध्यक्ष पहुंचे कलक्ट्रेट माली समाज अध्यक्ष कृपाराम देवड़ा ने कलक्टर को दिए गए ज्ञापन में बताया कि नगर परिषद नागौर की 2011 की जनगणना के अनुसार जनसंख्या एक लाख पांच हजार है। इसमें नवसर्जित वार्डों की संख्या 60 है। इसकी आय का श्रोत विभिन्न नगरीय कर व स्वायत शासन विभाग की ओर से जारी फण्ड है। जबकि ग्राम पंचायत ताऊसर व चेनार पंचायत राज विभाग की स्वायतशासी संस्था है। पंचायतराज इसे बजट का आवंटन करता है। बतौर जन प्रतिनिधि ग्राम पंचायत ताऊसर व चेनार में सरपच, पंचायत समिति सदस्य, जिला परिषद सदस्य व 30 वार्ड सदस्य चुने जाते है। इन पदों से वंचित होना पड़ेगा। साथ ही भूमि एवं भवन निर्माण स्वीकृति आदि कर लगने लगेंगे। जबकि यह क्षेत्र पशुपालन एवं कृषि आधारित है। जनसंख्या का आधार भी दोनोें गांवों को नगरपरिषद में शामिल नहीं किया जा सकता है। यह परिसीमन प्रावधानों के खिलाफ है।