रिपोर्ट्स के मुताबिक, मनसे प्रमुख राज ठाकरे के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। यह याचिका उत्तर भारतीय विकास सेना के प्रमुख सुनील शुक्ला ने दायर की है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि राज ठाकरे के भड़काऊ भाषणों के चलते महाराष्ट्र में हिंदी भाषी लोगों पर हमले हो रहे हैं और गैर-मराठी समुदाय में भय का माहौल बन गया है।
गौरतलब है कि गुढी पडवा के अवसर पर मुंबई में मनसे की सभा में राज ठाकरे ने अपने कार्यकर्ताओं को आदेश दिया था कि वे राज्यभर में बैंकों, दुकानों और अन्य संस्थानों में मराठी भाषा का उपयोग हो रहा है या नहीं, इसकी जांच करें। इस दौरान उन्होंने मराठी बोलने से आनाकानी करने वालों की पिटाई करने के लिए भी कहा था। इसके बाद मनसे कार्यकर्ता राज्यभर में सक्रिय हो गए और बैंकों में जाकर मराठी का अनिवार्य उपयोग करने की मांग करने लगे। इस दौरान कुछ स्थानों पर जब बैंक के अधिकारियों और कर्मचारियों ने मराठी बोलने में असमर्थता जताई तो कथित तौर पर मनसे कार्यकर्ताओं ने उनके साथ बदसलूकी और हाथापाई भी की।
मराठी मुद्दे पर मनसे के उग्र आंदोलन से बैंक कर्मचारी यूनियन भड़क गए और सीधे राज ठाकरे को चेतावनी दे दी। इसके बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी साफ कहा कि राज्य में मराठी के समर्थन में आंदोलन करना गलत नहीं है, लेकिन इसके लिए कानून का उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई की जाएगी। इसके बाद शनिवार को राज ठाकरे ने मनसे कार्यकर्ताओं से आंदोलन रोकने की अपील की।
ज्ञात हो कि बैंकों के अलाव हाल के दिनों में मुंबई के अंधेरी, पवई व कुछ अन्य जगहों पर भी मराठी नहीं बोलने पर हिंदी भाषी लोगों के साथ मनसे के कार्यकर्ताओं ने मारपीट की थी, जिससे शहर में सामाजिक तनाव बढ़ गया था और कार्रवाई की मांग तेज होने लगी।
इस बीच, शीर्ष कोर्ट में सुनील शुक्ला द्वारा दायर याचिका में मांग की गई है कि चुनाव आयोग मनसे की मान्यता रद्द करे, क्योंकि यह पार्टी लगातार हिंदी भाषी समुदाय को निशाना बना रही है। फ़िलहाल राज ठाकरे और मनसे की ओर से इस याचिका पर अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन राजनीतिक गलियारों में यह मामला गरमाया हुआ है।