पत्रकारों से बात करते हुए महाराष्ट्र के स्कूल शिक्षा मंत्री दादाजी भुसे (Dadaji Bhuse) ने मंगलवार को कैबिनेट बैठक के बाद इसकी घोषणा की। उन्होंने कहा, “’अनिवार्य’ शब्द को हटाया जाएगा… तीन भाषा नीति जारी रहेगी, यदि किसी कक्षा में बड़ी संख्या में छात्र किसी अन्य भाषा की मांग करते हैं, तो स्कूल को वह विकल्प उपलब्ध कराना होगा।”
उन्होंने कहा कि इस संबंध में एक नया सरकारी आदेश (जीआर) जारी किया जाएगा। यह कदम राज्य सरकार की परामर्श समिति द्वारा मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से निर्णय को वापस लेने का आग्रह करने के कुछ दिनों बाद उठाया गया है। महाराष्ट्र सरकार ने शैक्षणिक वर्ष 2025-26 से राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (
NEP 2020 in Maharashtra) को चरणबद्ध तरीके से लागू करने की घोषणा की है।
राज्य सरकार ने 16 अप्रैल को एक आदेश जारी किया था, जिसमें कहा था कि कक्षा 1 से 5 तक हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य किया जाएगा। इस फैसले के बाद राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक हलकों से फडणवीस सरकार को तीव्र विरोध का सामना करना पड़ रहा था। इस मुद्दे को राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने जोरशोर से उठाया था और आंदोलन की चेतावनी दी थी। मनसे ने स्पष्ट कहा है कि वह हिंदी थोपे जाने के खिलाफ है। महाराष्ट्र की प्राथमिकता मराठी होनी चाहिए।
राज्य के प्राइमरी स्कूलों (कक्षा 1 से 5 तक) में हिंदी को अनिवार्य तीसरी भाषा बनाने के फैसले का विरोध कई शैक्षणिक संगठनों ने भी किया था। संगठनों ने मांग की थी कि जब तक उत्तर भारत के स्कूलों में मराठी भाषा नहीं पढ़ाई जाती, तब तक महाराष्ट्र में भी हिंदी को अनिवार्य नहीं किया जाना चाहिए।
जिसके बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि महाराष्ट्र में मराठी भाषा अनिवार्य है, सभी को इसे सीखना चाहिए। इसके साथ ही अगर छात्र दूसरी भाषाएं सीखना चाहते हैं तो वो भी सीख सकते हैं। हिंदी का विरोध और अंग्रेजी को बढ़ावा देना आश्चर्यजनक है। अगर कोई मराठी का विरोध करता है तो उसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।