पालतू पशुओं पर हमला
ग्रामीणों का कहना है कि जिले में तेंदुओं की संख्या लगातार बढ़ रही है, जबकि वन विभाग की गणना में संख्या स्थिर बताई गई है। बीते कुछ समय में तेंदुए हमलावर प्रवृत्ति के हो गए हैं। कई गांवों में तेंदुए ने ग्रामीणों पर हमले किए, जिसमें कई लोग घायल हो गए। इसके अलावा दस से अधिक पालतू पशुओं को भी तेंदुए अपना शिकार बना चुके हैं।
कांठ और ठाकुरद्वारा में तेंदुओं की बढ़ी हलचल
उत्तराखंड बॉर्डर से सटे कांठ और ठाकुरद्वारा क्षेत्रों में तेंदुओं की गतिविधियां ज्यादा देखी जा रही हैं। गांव सिरसा ठाठ के निवासी बलवीर ने एक सप्ताह पहले मादा तेंदुए को देखा था। वहीं भटावली गांव में शुक्रवार रात तेंदुए ने दो बकरियों को मार डाला। बीते महीने कांठ क्षेत्र के गांव बगिया सागर में मलखान सिंह पर भी तेंदुए ने हमला कर दिया था।
पिंजरा लगाने की प्रक्रिया
ग्रामीणों द्वारा तेंदुए के दिखाई देने की सूचना मिलने पर वन विभाग की टीम मौके पर पहुंचती है और साक्ष्य जुटाने का प्रयास करती है। अधिकारियों के मुताबिक, तेंदुए के बार-बार दिखने पर ही पिंजरा लगाने की अनुमति दी जाती है। इसके लिए लखनऊ से मंजूरी लेना अनिवार्य है। अनुमति मिलने के बाद ही पिंजरा लगाया जा सकता है। डीएफओ ने बताई बढ़ते मूवमेंट की वजह
डीएफओ सूरज ने बताया कि तेंदुओं के मूवमेंट बढ़ने के पीछे मुख्य कारण शिकार की उपलब्धता और पानी की तलाश हो सकता है। कुछ स्थानों पर आसानी से शिकार मिलने के कारण तेंदुए बार-बार दिखाई दे रहे हैं। विभाग इस पर नजर बनाए हुए है और आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं।