scriptडोनाल्ड ट्रंप या शी जिनपिंग: किसमें कितना है दम, कौन बनेगा Trade War का’ सिकंदर’ | US-China Trade War 2025-intensifies-with-new-tariffs-from-trump-and-xi | Patrika News
विदेश

डोनाल्ड ट्रंप या शी जिनपिंग: किसमें कितना है दम, कौन बनेगा Trade War का’ सिकंदर’

US-China Trade War 2025: डोनाल्ड ट्रंप और चीन के बीच व्यापार युद्ध तेज हो गया है, जिसमें दोनों देशों ने एक-दूसरे पर भारी टैरिफ बढ़ाए हैं। चीन अब अपनी घरेलू अर्थव्यवस्था मजबूत करने और अमेरिका के व्यापारिक दबाव का सामना करने में सक्षम नजर आ रहा है।

भारतApr 14, 2025 / 03:30 pm

M I Zahir

US china new trade war

US china new trade war

US-China Trade War 2025: चीन और अमेरिका में कारोबारी जंग ( Trade War) तेज हो गई है। डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने दूसरे कार्यकाल के लिए जब पदभार संभाला तो जल्दबाजी में शुरू की गई दुनिया भर के व्यापार साझेदारों पर अतिरिक्त शुल्क लगाने की अपनी योजना स्थगित कर दी, इसमें चीन (China) एक महत्वपूर्ण अपवाद रहा। जब बाकी देशों को अमेरिकी व्यापार भागीदारों पर नये 10% टैरिफ (Tariffs) के अलावा अतिरिक्त शुल्कों पर 90 दिन की छूट दी जा रही थी, चीन को और अधिक चुनौतियों का कड़ा सामना करना पड़ा। ट्रंप ने 9 अप्रैल, 2025 को चीनी सामान पर टैरिफ बढ़ा कर 125% कर दिया।

वे अमेरिकी टैरिफ का सीधा मुकाबला करने के लिए तैयार थे

ट्रंप के अनुसार, यह कदम बीजिंग के “वैश्विक बाजारों के प्रति सम्मान की कमी” के कारण उठाया गया था, लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति शायद बीजिंग की उस स्पष्ट इच्छा से चिढ़ गए थे, जिसमें वे अमेरिकी टैरिफ का सीधा मुकाबला करने के लिए तैयार थे। जबकि कई देशों ने ट्रंप के स्थगित किए गए पलटवार टैरिफ पर जवाबी कार्रवाई करने का विकल्प नहीं चुना और बातचीत को प्राथमिकता दी, लेकिन बीजिंग ने एक अलग ही रास्ता अपनाया। उसने त्वरित और कठोर प्रतिशोधी कदम उठाए।

चीन के पीछे हटने के कोई आसार नजर नहीं आ रहे


ध्यान रहे कि चीन ने 11 अप्रैल को ट्रंप की कार्रवाई को एक “मज़ाक” के रूप में खारिज कर दिया और अपनस टैरिफ 125% तक बढ़ा दिया। अब दोनों ताकतवर देशों की अर्थव्यवस्थाएँ व्यापार संघर्ष में फंसी हुई हैं और चीन के पीछे हटने के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं

चीन के लिए बदला हुआ समीकरण

इसमें कोई संदेह नहीं है कि टैरिफ के परिणाम चीन के अनुकूल नहीं हैं, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जो अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए फर्नीचर, वस्त्र, खिलौने और घरेलू उपकरणों का उत्पादन करते हैं, लेकिन जब से ट्रंप ने 2018 में चीन पर टैरिफ बढ़ाया था, कई आंतरिक आर्थिक कारक ने बीजिंग के दृष्टिकोण को महत्वपूर्ण रूप से बदल दिया है। इधर चीन की निर्यात-निर्भर अर्थव्यवस्था में अमेरिका के बाजार का महत्व बहुत हद तक कम हो गया है।

चीन 2018 के व्यापार युद्ध में मजबूत आर्थिक वृद्धि के दौर में था

गौरतलब है कि 2018 में, पहले व्यापार युद्ध की शुरू में, अमेरिका को निर्यात किया गया सामान चीन के कुल निर्यात का 19.8% थे। 2023 में यह आंकड़ा घट कर 12.8% रह गया था। ये टैरिफ चीन को अपनी “घरेलू मांग विस्तार” रणनीति को तेज करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं, जिससे उसकी उपभोक्ता शक्ति का उपयोग किया जा सके और घरेलू अर्थव्यवस्था को मजबूत किया जा सके। चीन 2018 के व्यापार युद्ध में मजबूत आर्थिक वृद्धि के दौर में था, मगर मौजूदा हालात बहुत अलग हैं। मंदी में जा रहे रियल एस्टेट बाजार, पूंजी पलायन और पश्चिमी “अलगाव” ने चीनी अर्थव्यवस्था को लगातार मंदी के दौर में धकेल दिया है।

ट्रंप की टैरिफ नीति चीन के लिए बाहरी दोषारोपण का मौका भी दे सकती है

आज के हालात ऐसे हैं कि ट्रंप की टैरिफ नीति चीन के लिए एक उपयोगी बाहरी दोषारोपण का मौका भी दे सकती है, जिससे वह सार्वजनिक भावना भुना सकता है और आर्थिक मंदी का अमेरिकी आक्रामकता पर दोष डाल सकता है। चीन को यह भी समझ है कि अमेरिका अपने चीनी सामान पर निर्भरता को आसानी से नहीं बदल सकता।

चीन से अमेरिका का आयात सीधे तौर पर घटा

अमेरिका का आयात चीन से सीधे तौर पर घटा है, और बहुत सारा सामान अब तीसरे देशों से आयात किया जाता है, वे अब भी चीनी निर्मित घटकों या कच्चे माल पर निर्भर करते हैं। अमेरिका सन 2022 तक 532 प्रमुख उत्पाद श्रेणियों के लिए चीन पर निर्भर था, जो 2000 में इस स्तर से लगभग चार गुना था, जबकि उसी समय में चीन का अमेरिका के उत्पादों पर निर्भरता आधी हो गई थी।

ब्ल्यू कॉलर वोटरों में असंतोष पैदा हो सकता है

दोनों देशों की इस कारोबारी जंग के कारण बढ़ते टैरिफों से कीमतें बढ़ने की उम्मीद है, जो अमेरिकी उपभोक्ताओं, विशेष रूप से ब्ल्यू कॉलर वोटरों में असंतोष पैदा कर सकता है। बीजिंग का मानना है कि ट्रम्प के टैरिफों से अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मंदी की ओर धकेलने का जोखिम है।

बीजिंग ने अमेरिकी सोयाबीन निर्यातकों के आयात अनुमोदन रद्द कर दिए

बाजार के पंडितों का मानना है कि चीन के पास अमेरिकी कृषि निर्यात क्षेत्रों जैसे मुर्गा और सोयाबीन को लक्षित करने की क्षमता भी है, जो चीनी मांग पर अत्यधिक निर्भर हैं और जिनका ध्यान रिपब्लिकन-झुके राज्यों में केंद्रित है। चीन अमेरिकी सोयाबीन निर्यात का लगभग आधा लगभग 10% आयात करता है। बीजिंग ने 4 मार्च को तीन प्रमुख अमेरिकी सोयाबीन निर्यातकों के आयात अनुमोदन रद्द कर दिए थे।

ट्रंप प्रशासन के खिलाफ दबाव इस्तेमाल किया जा सकता है :बीजिंग

उधर प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में, कई अमेरिकी कंपनियां जैसे एप्पल और टेस्ला अभी भी चीनी विनिर्माण से गहराई से जुड़े हुए हैं। टैरिफों से उनके लाभांशों में महत्वपूर्ण कमी आ सकती है और बीजिंग का मानना है कि इसे ट्रंप प्रशासन के खिलाफ दबाव बनाने के एक स्रोत के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। बीजिंग पहले ही, कथित तौर पर चीन में अमेरिकी कंपनियों पर नियामक दबाव बनाने की योजना बना रहा है।

बीजिंग एलन मस्क के बहाने अमेरिका से निकाल सकता है खुन्नस

इस बीच, तथ्य यह है कि एलन मस्क, जो ट्रंप के एक वरिष्ठ सहयोगी हैं और जो अमेरिकी व्यापार सलाहकार पीटर नवारो के खिलाफ टैरिफों पर मतभेद रखते हैं, उसका चीन में बड़ा व्यापारिक हित है, यह एक ऐसा मजबूत कारक है, जिसे बीजिंग अभी भी ट्रंप प्रशासन को विभाजित करने के लिए इस्तेमाल कर सकता है।

Hindi News / World / डोनाल्ड ट्रंप या शी जिनपिंग: किसमें कितना है दम, कौन बनेगा Trade War का’ सिकंदर’

ट्रेंडिंग वीडियो