UP Roadway: अवध डिपो में चालकों-परिचालकों की पीड़ा फूटी, शोषण और अपमान के खिलाफ गरजी गेट मीटिंग
Awadh Depot Protest : अवध डिपो के चालक-परिचालकों ने लगातार हो रहे शोषण, अपमान और उत्पीड़न के खिलाफ आवाज़ बुलंद कर दी है। सेंट्रल रीजनल वर्कशॉप कर्मचारी संघ ने गेट मीटिंग कर आगामी 23 अप्रैल को चारबाग बस स्टेशन पर “स्वाभिमान बैठक” का ऐलान किया, जिसमें बड़ी संख्या में कर्मचारियों के जुटने की उम्मीद है।
सेंट्रल रीजनल वर्कशॉप कर्मचारी संघ ने उठाई आवाज़, 23 अप्रैल को चारबाग बस स्टेशन पर स्वाभिमान बैठक में शामिल होने की अपील..
UP Roadway Driver Pain: उत्तर प्रदेश राज्य परिवहन निगम के अवध डिपो में बीते समय से जारी चालकों और परिचालकों का शोषण, मानसिक उत्पीड़न और संस्थागत उपेक्षा अब धीरे-धीरे एक बड़े आंदोलन का रूप लेने लगा है। इसी क्रम में सेंट्रल रीजनल वर्कशॉप कर्मचारी संघ की ओर से एक गेट मीटिंग का आयोजन किया गया, जिसमें न सिर्फ कर्मचारियों की समस्याओं को साझा किया गया, बल्कि आगामी 23 अप्रैल को चारबाग बस स्टेशन कार्यालय पर होने वाली “स्वाभिमान बैठक” को लेकर रणनीति भी तैयार की गई।
बैठक में वक्ताओं ने बताया कि एक समय था जब परिवहन निगम में ड्राइवर और कंडक्टर को ‘साहब’ कहकर संबोधित किया जाता था, लेकिन अब हालात इतने बदल चुके हैं कि “अबे साले” जैसे अपमानजनक शब्द आम हो चुके हैं। अधिकारी, प्रशासन और यहां तक कि यात्री भी मानवीय गरिमा को रौंदते हुए व्यवहार करते हैं। सवाल यह है कि क्या यह वही परिवहन निगम है, जिसमें कर्मचारियों ने वर्षों तक अपना खून-पसीना बहाया?
“काम हमारा, शाबाशी किसी और को” भीतर ही भीतर सुलगता दर्द
चालकों और परिचालकों ने स्पष्ट रूप से कहा कि जब बसों की संचालन रिपोर्ट अच्छी जाती है, तो शासन और निगम के उच्च अधिकारी शाबाशी बटोर लेते हैं। मगर इसके पीछे कितने किलोमीटर की रिकवरी, कितनी एक्स्ट्रा शिफ्टें, और कितनी बलि दी गई है, यह कोई नहीं देखता। दुर्घटनाओं में, कमाई में गिरावट में, या किसी विवाद में सबसे पहले उंगली कर्मचारियों पर ही उठती है।
हर मोर्चे पर बेइज्जती: बस स्टैंड, चौराहा, पुलिस, ऑफिस सब जगह अपमान
चालकों की व्यथा केवल कार्यस्थल तक सीमित नहीं है। उन्हें डिपो पर अधिकारियों की फटकार, स्टेशन पर यात्रियों की बदतमीजी, चौराहे पर पुलिस की डांट और डग्गामार गाड़ियों से टक्कर झेलनी पड़ती है। ड्यूटी खत्म होने के बाद डीज़ल औसत और कम आय के लिए फिर से जवाब देना पड़ता है। हर मोर्चे पर उन्हें ही जिम्मेदार ठहराया जाता है — चाहे गलती उनकी हो या ना हो।
मानवता का हनन: चालकों-परिचालकों के साथ अपमानजनक व्यवहार।
सिस्टम की विफलता: अधिकारियों की तरफ से लगातार दबाव और प्रताड़ना।
काम के घंटे: अनियमित ड्यूटी, बिना विश्राम के एक्स्ट्रा शिफ्ट।
सुरक्षा का अभाव: डग्गामार गाड़िया, पुलिसिया दबाव, और भीड़भाड़ में काम करना।
मानसिक तनाव: निरंतर अपमानजनक भाषा, अधिकारियों का अनुचित रवैया।
23 अप्रैल की “स्वाभिमान बैठक” का ऐलान
शाखा अध्यक्ष मिशम जैदी और अन्य पदाधिकारियों ने ऐलान किया कि 23 अप्रैल 2025 को चारबाग बस स्टेशन कार्यालय पर स्वाभिमान बैठक आयोजित की जाएगी, जिसमें हर उस चालक और परिचालक को शामिल होने की अपील की गई है जो अपने आत्मसम्मान की रक्षा करना चाहता है।
उन्होंने कहा, “हम सिर्फ वेतन नहीं, सम्मान भी चाहते हैं। हमें अब तय करना होगा कि हम चुप रहेंगे या अपनी आवाज बुलंद करेंगे।” मिशम जैदी, शाखा अध्यक्ष, अवध डिपो एवं प्रांतीय कार्यकारिणी सदस्य ने कहा कि “हमारी चुप्पी को कमजोरी समझा जा रहा है। 23 अप्रैल को हर चालक और परिचालक चारबाग कार्यालय पहुंचे, यह बैठक नहीं, स्वाभिमान की लड़ाई है।”
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