बता दें कि बहुवार्षिक टैरिफ वितरण विनियमन 2025 (मल्टी ईयर टैरिफ रेगुलेशन) में संशोधन किया गया है। इसके तहत वर्ष 2029 तक हर माह फ्यूल एंड पॉवर परचेज एडजस्टमेंट सरचार्ज यानी ईंधन अधिभार शुल्क उपभोक्ताओं से वसूला जाएगा। विद्युत नियामक आयोग की ओर से विनियमन में किए गए बदलाव का असर अप्रैल के बिल में दिखेगा। पॉवर कॉर्पोरेशन ने जब जनवरी के ईंधन अधिभार का आकलन किया तो 78.99 करोड़ अतिरिक्त निकला। इसे उपभोक्ताओं से वसूला जाएगा।
महंगाई के हिसाब से बढ़ेंगी बिजली की दरें!
प्रदेश में पहले ईंधन अधिभार की दरें तय थीं। यही वजह है कि टैरिफ लागू होने के बाद भी पांच साल तक बिजली की दरें नहीं बढ़ीं, लेकिन बहुवार्षिक टैरिफ वितरण विनियमन 2025 लागू होने के बाद अब हर माह ईंधन अधिभार की दर तय होगी। इससे स्पष्ट है कि डीजल, पेट्रोल और कोयला की महंगाई के हिसाब से ही फ्यूल एंड पॉवर परचेज एडजस्टमेंट सरचार्ज (एफपीपीएएस) तय किया जाएगा। ऐसे में डीजल व पेट्रोल का मूल्य जितना बढ़ेगा, उसी हिसाब से बिजली की दरों में भी बढ़ोतरी होती रहेगी। ऐसे में जिस गति से तेल की कीमतें बढ़ेंगी, उसी गति से बिजली भी महंगी होती रहेगी, जिसका खामियाजा उपभोक्ताओं को चुकाना पड़ेगा।