महिला यात्रियों की समस्याओं का समाधान नहीं
रोडवेज बसों में यात्रा करने वाली महिलाओं का कहना है कि वे अपनी आरक्षित सीट की तलाश में बार-बार बस में चढ़ने के बावजूद अक्सर खड़े रहकर यात्रा करने को मजबूर होती हैं। आरक्षित सीटों पर पुरुष यात्री बैठे होते हैं और इस स्थिति में महिलाओं को अपनी सुरक्षा की चिंता भी बनी रहती है। वहीं, रोडवेज प्रशासन और कर्मचारियों की ओर से कोई सहायता नहीं मिलती, जिससे महिलाओं का मनोबल और भी टूटता है।राजस्थान रोडवेज का असंवेदनशील रवैया
महिला आरक्षण के बावजूद रोडवेज प्रशासन का असंवेदनशील रवैया सामने आ रहा है। अधिकारियों की अनदेखी और प्रशासनिक लापरवाही के कारण महिलाओं की सुरक्षा और अधिकारों का हनन हो रहा है। इन समस्याओं को नजरअंदाज किया जा रहा है, जिससे महिलाएं बसों में सफर के दौरान असुविधा का सामना कर रही है। यह स्थिति न केवल उनकी यात्रा को कठिन बना रही है, बल्कि उनके आत्मविश्वास को भी प्रभावित कर रही है।समाधान की ओर कदम
महिला यात्रियों के लिए रोडवेज बसों में सीटों की व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता है। प्रशासन को महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों के सही उपयोग की निगरानी करनी चाहिए और बसों में महिला यात्रियों की सहायता के लिए एक विशेष कर्मचारी की तैनाती करनी चाहिए। साथ ही, महिलाओं की यात्रा को सुरक्षित और आरामदायक बनाने के लिए विशेष पहल की जानी चाहिए।बसों में महिलाओं के लिए सुविधाओं की कमी
महिला यात्रियों की परेशानियों को सुनने वाला कोई नहीं होता। उन्हें न तो आरक्षित सीटें मिलती हैं, न ही उनकी यात्रा को सुरक्षित और आरामदायक बनाने के लिए कोई ठोस कदम उठाए जाते हैं। बसों में महिलाओं के लिए सीटों का विशेष प्रबंध किया जाना चाहिए, साथ ही उन्हें यात्रा के दौरान सुरक्षित महसूस कराने के लिए आवश्यक उपाय किए जाने चाहिए।JCTSL प्रशासन ने खड़े किए हाथ, कहा “सरकार नई बसें दे, तो चलें महिला स्पेशल बस”
परिचालकों को पाबंद किया
हर बस में महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित होती हैं। कई बार पुरुष यात्री उन सीटों पर बैठ जाते हैं, ऐसे में परिचालकों को उन्हें हटाने के निर्देश दिए गए हैं। इसको लेकर कई बार पुरुष यात्रियों से परिचालकों की बहस भी हो जाती है।-अजय कुमार मीणा, चीफ मैनेजर, कोटा डिपो