देश के अंदर चीतों की इस पहली शिफ्टिंग की शुरुआत शनिवार रात से होगी, जो रविवार दोपहर 3 बजे खत्म होगी। प्रोजेक्ट चीता के तहत दक्षिण अफ्रीका से 18 फरवरी 2023 को 12 चीते लाए थे। इनमें से ही पावक और प्रभाष हैं। अभी पावक 5 और प्रभाष साढ़े 5 साल का है। भविष्य की आवश्यकताओं को देखते हुए चीता कॉरिडोर के साथ प्रारंभिक तौर पर दो चीतों को गांधीसागर में बसाया जा रहा है। वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार, इससे देश में चीतों का कुनबा तो बढ़ेगा ही, पर्यावरण संरक्षण व पर्यटन के नए आयाम भी स्थापित होंगें।
कोटा से कूनो यह है कनेक्टिविटी
मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व राजस्थान मध्यप्रदेश से जुड़ा है। सेवानिवृत्त उप वन संरक्षक दौलत सिंह शक्तावत के अनुसार, कूनो से चीते मूव करते हैं तो श्योपुर, रणथम्भौर, हाड़ौती में शेरगढ़, मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व से रावतभाटा के जंगलों से होते हुए गांधी सागर तक पहुंच सकते हैं। वहीं गांधी सागर से चीतों को मूवमेंट होता है तो रावतभाटा के जंगल, मुकुन्दरा, शेरगढ़, श्योपुर रणथंभौर से होते हुए कूनो तक दौड़ लगा सकते हैं। मध्यप्रदेश व राजस्थान के बीच बनेगा 17 हजार किलोमीटर का चीता कॉरिडोर
फिलहाल कूनो से गांधी सागर में चीतों को शिफ्ट किया जा रहा है। वहीं कूनो नेशनल पार्क से भटक कर प्रदेश की ओर आने वाले चीतों के लिए मध्यप्रदेश व राजस्थान के बीच 17 हजार किलोमीटर का चीता कॉरिडोर बनाने की योजना पर भी काम चल रहा है। जिसमें राजस्थान के कॉरिडोर का एरिया करीब 6500 किमी होगा।
जिसमें संभाग के चारों जिलों कोटा, बूंदी, बारां और झालावाड़ के साथ सवाईमाधोपुर, करौली और चित्तौड़गढ़ भी शामिल है। बैठक में अफसरों ने बताया कि गांधीसागर अभयारण्य राजस्थान की सीमा से लगा हुआ है, इसलिए अंतर राज्यीय चीता संरक्षण परिसर की स्थापना के लिए मध्यप्रदेश और राजस्थान के बीच सैद्धांतिक सहमति बन चुकी है। चीता सफारी शुरू करने की प्रक्रिया भी तेज की जाएगी।