कटनी. नगर निगम द्वारा शहर में कराए गए जीआईएस सर्वे में 7822 नई बेनामी संपत्तियां सामने आई हैं, जिससे निगम का वार्षिक राजस्व करीब 2 करोड़ रुपए तक बढ़ेगी। इस सर्वे के बाद अब शहर में संपत्तियों की कुल संख्या 56 हजार 940 से अधिक हो गई है। पहले यह आंकड़ा 49,123 था। नगर निगम ने नोएडा की फर्म रूद्राभिषेक इंटरप्राइजेज से यह सर्वे कराया, जिसके अंतर्गत 45 वार्डों में 48 हजार 134 संपत्तियों की मैपिंग पूरी की जा चुकी है, जबकि 989 संपत्तियों की मैपिंग अभी शेष है। सर्वे के दौरान यह भी सामने आया कि 3204 भवन ऐसे हैं, जिनका वास्तविक क्षेत्रफल ज्यादा है लेकिन उनसे कम टैक्स वसूला जा रहा था। वहीं 359 संपत्तियां ऐसी पाई गईं जिनसे नगर निगम जरूरत से ज्यादा टैक्स वसूल रहा था। इन मामलों में अब समायोजन की प्रक्रिया शुरू की जाएगी, जिससे आगे टैक्स वसूली में पारदर्शिता बनी रहे।
अब तक नगर निगम 49 हजार 123 संपत्तियों से सालाना 10 करोड़ 94 लाख रुपए टैक्स वसूल रहा था, लेकिन अब यह बढकऱ लगभग 12 करोड़ 94 लाख रुपए हो जाएगा। यानि अगले वित्तीय वर्ष 2025-26 से नगर निगम को लगभग 2 करोड़ रुपए अतिरिक्त आय होगी।
70 लाख रुपए किए गए हैं जीआएस सर्वे में खर्च
3204 संपत्तियामें सामने आया अधिक क्षेत्रफल
359 भवनों में हो रही थी अधिक टैक्स वसूली
56 हजार 940 से अधिक हो गई हैं संपत्तियां
सर्वे एजेंसी पर होगी कार्रवाई
बता दें कि जीआएस सर्वे की प्रक्रिया वर्ष 2016 में शुरू हुई थी, जिसे एक वर्ष में पूरा किया जाना था। लेकिन ठेका एजेंसी ने इसे वर्ष 2024-25 में जाकर पूरा किया। नगर निगम अधिकारियों का कहना है कि यदि यह काम समय पर पूरा हो जाता, तो निगम को अब तक 40 से 50 करोड़ रुपए अतिरिक्त राजस्व प्राप्त हो सकता था। इस देरी के लिए ठेकेदार फर्म पर पेनाल्टी की कार्रवाई की जाएगी। हालांकि बीच में दो साल कोविड के कारण भी देरी हुई है। नगर निगम ने यह सर्वे करीब 70 लाख रुपए में कराया है।
लोगों को भेजे जा रहे सूचना पत्र
जीआइएस सर्वे के आधार पर नगर निगम अब लोगों को नए टैक्स निर्धारण की जानकारी दे रहा है। इस माह से डोर-टू-डोर अभियान के तहत राजस्व विभाग के अधिकारी और कर्मचारी भवन स्वामियों को सूचना पत्र पहुंचा रहे हैं। साथ ही यह भी कहा गया है कि जिन नागरिकों को टैक्स निर्धारण में आपत्ति है, वे अपना पक्ष रख सकते हैं। उनपर सुनवाई भी की जाएगी।
श्रीकरणपुर. सीमावर्ती गांव शेखसरपाल एरिया में मिला ड्रोन।
यह है जीआइएस सर्वे
जीआइएस सर्वे यानी ‘जिओग्राफिक इन्फॉर्मेशन सिस्टम सर्वे’ एक अत्याधुनिक तकनीक पर आधारित सर्वेक्षण प्रक्रिया है, जिसमें किसी क्षेत्र की सभी संपत्तियों, भूखंडों, इमारतों और बुनियादी ढांचे की डिजिटल मैपिंग और डेटा संग्रहण किया जाता है। यह सर्वे खासतौर पर नगर निगम, नगर पालिका जैसे शहरी निकायों द्वारा कराया जाता है। हर संपत्ति की लोकेशन की सटीक जानकारी जीपीएस और उपग्रह चित्रों की मदद से देता है। संपत्ति का क्षेत्रफल, ऊंचाई, निर्माण का प्रकार आदि को रिकॉर्ड करता है। बेनामी या अघोषित संपत्तियों की पहचान करता है। टैक्स निर्धारण के लिए ठोस और पारदर्शी डेटा उपलब्ध कराता है। डिजिटल नक्शों और डेटाबेस की मदद से नगर निकाय के रिकॉर्ड अपडेट करता है।
शहरी योजना, सडक़, जल निकासी, सफाई आदि की बेहतर प्लानिंग।
डिजिटल रिकार्ड से पारदर्शिता को बढ़ावा
ये लिए जा रहे टैक्स
समेकित कर
संपत्ति कर
नगरीय विकास उपकर
शिक्षा उपकर
स्वच्छता कर
जलकर
सर्वे के अनुसार लगाया जा रहा टैक्स
नीलेश दुबे आयुक्त नगर निगम ने कहा कि जीआइएस सर्वे से संपत्ति कर प्रणाली में पारदर्शिता आई है। छुपी हुई संपत्तियां अब टैक्स के दायरे में आ रही हैं। 7800 नई संपत्तियां सामने आईं हैं। अब सालाना राजस्व में 2 करोड़ रुपए से अधिक की वृद्धि हो गई है। यह राजस्व वृद्धि शहर के विकास में सहयोगी साबित होगी। जिनसे अधिक टैक्स वसूला गया है, उसमें सुधार किया जाएगा और आपत्तियों पर सुनवाई कर समुचित समाधान होगा।
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