प्रशिक्षु आइपीएस व थानाधिकारी आशिमा वासवानी ने बताया कि सम्पत्ति को लेकर विवाद में गत 31 मार्च को बिसलपुर निवासी भीखीदेवी जाट (75) और पति घीसाराम जाट (80) पर जानलेवा हमला किया गया था। गंभीर हालत में दोनों को मथुरादास माथुर अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां तीन अप्रेल को भीखीदेवी की मृत्यु हो गई थी। वहीं, हमले के बाद से बेहोश घीसाराम का 17 अप्रेल को दम टूट गया। पुलिस ने पोस्टमार्टम के बाद शव परिजन को सौंपे।
जानलेवा हमले के मामले में हत्या की धारा जोड़कर जांच शुरू की गई। मृतक के पुत्र बिसलपुर निवासी सांवरराम (56) पुत्र घीसाराम जाट और पोते दिनेश रोज (27) को गिरफ्तार किया गया। दोनों को अदालत में पेश कर रिमाण्ड लिया गया है। इनसे वारदात में प्रयुक्त हथियार बरामद करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
जमीन कम मिलने का पता लगते ही कर दिया हमला
पुलिस का कहना है कि घीसाराम के दो पुत्र हैं। 16 बीघा जमीन में से चार बीघा जमीन बेच दी गई थी। शेष 12 बीघा जमीन दोनों पुत्र के नाम कर दी थी, लेकिन किसे कितनी जमीन दी गई इसका पता नहीं था। गत 31 मार्च की शाम आरोपी सांवरराम ने ई-मित्र से जमीन के दस्तावेजों की नकल निकलवाई थी। जिसमें उसे पता लगा कि उसके भाई गंगाराम के हिस्से में अधिक व सांवराराम के हिस्से में कम जमीन आई थी। इससे वह आग बबूला हो गया था। आधे घंटे बाद ही वो अपने पुत्र दिनेश के साथ पिता के घर पहुंचा था और हथियार से मां पर वार कर दिया था। पिता घर से कुछ दूर थे तो आरोपी ने वहांं जाकर पिता पर वार कर दिया था।
चश्मदीद की गवाही के इंतजार में निकाले 18 दिन
वारदात के बाद पुलिस ने जांच की तो मृतका के पहने जेवर सही सलामत मिले। मकान में भी लूटपाट या चोरी के साक्ष्य नहीं मिले थे। वृद्ध के परिजन व आस-पास के लोगों से जांच की गई। जिसमें मृतक का पुत्र सांवराराम संदेह के दायरे में आ गया। उससे पूछताछ की गई तो जमीन कम मिलने पर हमला करना कबूल किया। उसे हिरासत में लिया गया। उधर, वृद्धा की मृत्यु होने के बाद पुलिस वृद्ध के होश में आने का इंतजार करने लगी। ताकि चश्मदीद गवाह के तौर पर महत्वपूर्ण बयान लिए जा सकें, लेकिन वृद्ध की भी मृत्यु हो गई।