Jhansi News : झांसी के प्रेमनगर थाना क्षेत्र के रहने वाले तारिख इकबाल को 7 साल बाद न्याय मिला है। अतिरिक्त न्यायालय के पीठासीन अधिकारी दिलीप सिंह की अदालत ने चेक बाउंस के 7 वर्ष पुराने मामले में अभियुक्त को 1 वर्ष के कारावास के अलावा 8 लाख रुपये अर्थदंड की सजा सुनायी है।
6 लाख की दी थी पेशगी प्रेमनगर के सुम्मेर नगर ईसाई टोला निवासी तारिक इकबाल ने न्यायालय में वाद दायर कर आरोप लगाया था कि उसके पिता शेख इकबाल ने सीपी मिशन कंपाउंड निवासी मोहम्मद नासिर खान से अम्बेडकर नगर कॉलोनी स्थित मकान का 15 लाख रुपये में सौदा किया था। 19 जुलाई 2015 को मकान विक्रेता को 6 लाख रुपये की पेशगी दी गयी। मकान विक्रेता ने बकाया धनराशि मिलने के 2 माह में मकान का पंजीकृत बैनामा करने का आश्वासन दिया। सितम्बर 2015 में नासिर ने दूसरे व्यक्ति से 20 लाख रुपये में मकान का सौदा करने की बात कहकर शेख इकबाल को मकान बेचने से मना कर दिया। शेख इकबाल ने नासिर से पेशगी के रूप में दिए गए 6 लाख रुपये मांगे। इस पर उसने स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया रेलवे स्टेशन शाखा की अलग- अलग राशि की तीन पोस्ट डेटेड चेक दे दीं। इन चेक को जब भुगतान के लिए बैंक में लगाया गया तो खाते में पर्याप्त राशि न होने पर चेक वापस आ गए।
अब सुनाई गई सजा इस पर नासिर को डिमांड नोटिस भिजवाये गये, लेकिन उसने गलत रिपोर्ट लगवाकर नोटिस वापस कर दिए। शेख इकबाल ने मामला परिवाद न्यायालय में दायर किया, जहां न्यायालय ने नासिर को अभियुक्त करार देते हुए नासिर को प्रतिकर सहित 6.70 लाख रुपये का भुगतान करने का आदेश देते हुए धारा 138 एनआई एक्ट के अन्तर्गत 1 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 8 लाख रुपये के अर्थदंड की सजा सुनायी। अर्थदंड की राशि अदा न करने पर अभियुक्त को 3 माह का अतिरिक्त साधारण कारावास भुगतना होगा। अर्थदंड की राशि में से परिवादी को 6.70 लाख रुपये बतौर प्रतिकर प्रदान की जायेगी। इस मामले में वादी पक्ष की ओर से पैरवी भी लगाया है। परिवादी की ओर से पैरवी पूर्व जिला शासकीय अधिवक्ता शिवकेश दुबे ने की।
6 लाख की दी थी पेशगी 1 प्रेमनगर के सुम्मेर नगर ईसाई टोला निवासी तारिक इकबाल ने न्यायालय में वाद दायर कर आरोप लगाया था कि उसके पिता शेख इकबाल ने सीपी मिशन कंपाउंड निवासी मोहम्मद नासिर खान से अम्बेडकर नगर कॉलोनी स्थित मकान का 15 लाख रुपये में सौदा किया था। 19 जुलाई 2015 को मकान विक्रेता को 6 लाख रुपये की पेशगी दी गयी। मकान विक्रेता ने बकाया धनराशि मिलने के 2 माह में मकान का पंजीकृत बैनामा करने का आश्वासन दिया। सितम्बर 2015 में नासिर ने दूसरे व्यक्ति से 20 लाख रुपये में मकान का सौदा करने की बात कहकर शेख इकबाल को मकान बेचने से मना कर दिया। शेख इकबाल ने नासिर से पेशगी के रूप में दिए गए 6 लाख रुपये मांगे। इस पर उसने स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया रेलवे स्टेशन शाखा की अलग- अलग राशि की तीन पोस्ट डेटेड चेक दे दीं। इन चेक को जब भुगतान के लिए बैंक में लगाया गया तो खाते में पर्याप्त राशि न होने पर चेक वापस आ गए।
अब सुनाई गई सजा 2 इस पर नासिर को डिमांड नोटिस भिजवाये गये, लेकिन उसने गलत रिपोर्ट लगवाकर नोटिस वापस कर दिए। शेख इकबाल ने मामला परिवाद न्यायालय में दायर किया, जहां न्यायालय ने नासिर को अभियुक्त करार देते हुए नासिर को प्रतिकर सहित 6.70 लाख रुपये का भुगतान करने का आदेश देते हुए धारा 138 एनआई एक्ट के अन्तर्गत 1 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 8 लाख रुपये के अर्थदंड की सजा सुनायी। अर्थदंड की राशि अदा न करने पर अभियुक्त को 3 माह का अतिरिक्त साधारण कारावास भुगतना होगा। अर्थदंड की राशि में से परिवादी को 6.70 लाख रुपये बतौर प्रतिकर प्रदान की जायेगी। इस मामले में वादी पक्ष की ओर से पैरवी भी लगाया है। परिवादी की ओर से पैरवी पूर्व जिला शासकीय अधिवक्ता शिवकेश दुबे ने की।
6 लाख की दी थी पेशगी 2 प्रेमनगर के सुम्मेर नगर ईसाई टोला निवासी तारिक इकबाल ने न्यायालय में वाद दायर कर आरोप लगाया था कि उसके पिता शेख इकबाल ने सीपी मिशन कंपाउंड निवासी मोहम्मद नासिर खान से अम्बेडकर नगर कॉलोनी स्थित मकान का 15 लाख रुपये में सौदा किया था। 19 जुलाई 2015 को मकान विक्रेता को 6 लाख रुपये की पेशगी दी गयी। मकान विक्रेता ने बकाया धनराशि मिलने के 2 माह में मकान का पंजीकृत बैनामा करने का आश्वासन दिया। सितम्बर 2015 में नासिर ने दूसरे व्यक्ति से 20 लाख रुपये में मकान का सौदा करने की बात कहकर शेख इकबाल को मकान बेचने से मना कर दिया। शेख इकबाल ने नासिर से पेशगी के रूप में दिए गए 6 लाख रुपये मांगे। इस पर उसने स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया रेलवे स्टेशन शाखा की अलग- अलग राशि की तीन पोस्ट डेटेड चेक दे दीं। इन चेक को जब भुगतान के लिए बैंक में लगाया गया तो खाते में पर्याप्त राशि न होने पर चेक वापस आ गए।
अब सुनाई गई सजा 2 इस पर नासिर को डिमांड नोटिस भिजवाये गये, लेकिन उसने गलत रिपोर्ट लगवाकर नोटिस वापस कर दिए। शेख इकबाल ने मामला परिवाद न्यायालय में दायर किया, जहां न्यायालय ने नासिर को अभियुक्त करार देते हुए नासिर को प्रतिकर सहित 6.70 लाख रुपये का भुगतान करने का आदेश देते हुए धारा 138 एनआई एक्ट के अन्तर्गत 1 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 8 लाख रुपये के अर्थदंड की सजा सुनायी। अर्थदंड की राशि अदा न करने पर अभियुक्त को 3 माह का अतिरिक्त साधारण कारावास भुगतना होगा। अर्थदंड की राशि में से परिवादी को 6.70 लाख रुपये बतौर प्रतिकर प्रदान की जायेगी। इस मामले में वादी पक्ष की ओर से पैरवी भी लगाया है। परिवादी की ओर से पैरवी पूर्व जिला शासकीय अधिवक्ता शिवकेश दुबे ने की।
6 लाख की दी थी पेशगी 3 प्रेमनगर के सुम्मेर नगर ईसाई टोला निवासी तारिक इकबाल ने न्यायालय में वाद दायर कर आरोप लगाया था कि उसके पिता शेख इकबाल ने सीपी मिशन कंपाउंड निवासी मोहम्मद नासिर खान से अम्बेडकर नगर कॉलोनी स्थित मकान का 15 लाख रुपये में सौदा किया था। 19 जुलाई 2015 को मकान विक्रेता को 6 लाख रुपये की पेशगी दी गयी। मकान विक्रेता ने बकाया धनराशि मिलने के 2 माह में मकान का पंजीकृत बैनामा करने का आश्वासन दिया। सितम्बर 2015 में नासिर ने दूसरे व्यक्ति से 20 लाख रुपये में मकान का सौदा करने की बात कहकर शेख इकबाल को मकान बेचने से मना कर दिया। शेख इकबाल ने नासिर से पेशगी के रूप में दिए गए 6 लाख रुपये मांगे। इस पर उसने स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया रेलवे स्टेशन शाखा की अलग- अलग राशि की तीन पोस्ट डेटेड चेक दे दीं। इन चेक को जब भुगतान के लिए बैंक में लगाया गया तो खाते में पर्याप्त राशि न होने पर चेक वापस आ गए।
अब सुनाई गई सजा 4 इस पर नासिर को डिमांड नोटिस भिजवाये गये, लेकिन उसने गलत रिपोर्ट लगवाकर नोटिस वापस कर दिए। शेख इकबाल ने मामला परिवाद न्यायालय में दायर किया, जहां न्यायालय ने नासिर को अभियुक्त करार देते हुए नासिर को प्रतिकर सहित 6.70 लाख रुपये का भुगतान करने का आदेश देते हुए धारा 138 एनआई एक्ट के अन्तर्गत 1 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 8 लाख रुपये के अर्थदंड की सजा सुनायी। अर्थदंड की राशि अदा न करने पर अभियुक्त को 3 माह का अतिरिक्त साधारण कारावास भुगतना होगा। अर्थदंड की राशि में से परिवादी को 6.70 लाख रुपये बतौर प्रतिकर प्रदान की जायेगी। इस मामले में वादी पक्ष की ओर से पैरवी भी लगाया है। परिवादी की ओर से पैरवी पूर्व जिला शासकीय अधिवक्ता शिवकेश दुबे ने की।
6 लाख की दी थी पेशगी 5 प्रेमनगर के सुम्मेर नगर ईसाई टोला निवासी तारिक इकबाल ने न्यायालय में वाद दायर कर आरोप लगाया था कि उसके पिता शेख इकबाल ने सीपी मिशन कंपाउंड निवासी मोहम्मद नासिर खान से अम्बेडकर नगर कॉलोनी स्थित मकान का 15 लाख रुपये में सौदा किया था। 19 जुलाई 2015 को मकान विक्रेता को 6 लाख रुपये की पेशगी दी गयी। मकान विक्रेता ने बकाया धनराशि मिलने के 2 माह में मकान का पंजीकृत बैनामा करने का आश्वासन दिया। सितम्बर 2015 में नासिर ने दूसरे व्यक्ति से 20 लाख रुपये में मकान का सौदा करने की बात कहकर शेख इकबाल को मकान बेचने से मना कर दिया। शेख इकबाल ने नासिर से पेशगी के रूप में दिए गए 6 लाख रुपये मांगे। इस पर उसने स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया रेलवे स्टेशन शाखा की अलग- अलग राशि की तीन पोस्ट डेटेड चेक दे दीं। इन चेक को जब भुगतान के लिए बैंक में लगाया गया तो खाते में पर्याप्त राशि न होने पर चेक वापस आ गए।
अब सुनाई गई सजा 5 इस पर नासिर को डिमांड नोटिस भिजवाये गये, लेकिन उसने गलत रिपोर्ट लगवाकर नोटिस वापस कर दिए। शेख इकबाल ने मामला परिवाद न्यायालय में दायर किया, जहां न्यायालय ने नासिर को अभियुक्त करार देते हुए नासिर को प्रतिकर सहित 6.70 लाख रुपये का भुगतान करने का आदेश देते हुए धारा 138 एनआई एक्ट के अन्तर्गत 1 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 8 लाख रुपये के अर्थदंड की सजा सुनायी। अर्थदंड की राशि अदा न करने पर अभियुक्त को 3 माह का अतिरिक्त साधारण कारावास भुगतना होगा। अर्थदंड की राशि में से परिवादी को 6.70 लाख रुपये बतौर प्रतिकर प्रदान की जायेगी। इस मामले में वादी पक्ष की ओर से पैरवी भी लगाया है। परिवादी की ओर से पैरवी पूर्व जिला शासकीय अधिवक्ता शिवकेश दुबे ने की।
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