पेरेंटिंग कैलेंडर की मुख्य विशेषताएं-
-नर्सरी और किंडरगार्टन, कहानी सुनाने, संगीत, पहेलियां और फैमिली बॉन्डिंग -कक्षा 1,2: आउटडोर शिक्षण, पारंपरिक खेल – कक्षा 3,5: विज्ञान प्रयोग, सांस्कृतिक गतिविधियां – कक्षा 6,8: कौशल स्वैप और सहयोग सत्र – कक्षा 9,10: कॅरियर मेंटरिंग और कला में भागीदारी – कक्षा 11,12: करियर मेंटरशिप, वित्तीय साक्षरता
चुनौतियां नींव मजबूत करने के लिए उठाया कदम-
आज के दौर में बच्चों पर पढ़ाई को लेकर मानसिक तनाव जिस तरह से हावी होने लगा है, उसने अभिभावकों की चिंता भी बढ़ा दी है। स्कूली शिक्षा को बच्चों की नींव माना जाता है और नींव ही कमजोर हो जाए जो बच्चों के भविष्य की चिंताएं भी कम नहीं है। इसी चिंता को देखते हुए केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने बच्चों को पढ़ाई के दबाव से मुक्त रखने व उनकी शैक्षणिक प्रगति में साझेदारी के तहत स्कूलों से अभिभावकों को जोडऩेे के इरादे को लेकर सत्र 2025-26 से पैरेंटिंग कैलेंडर जारी किया है। इस कैलेंडर के माध्यम से अभिभावकों का शिक्षकों से सतत संपर्क बनाए रखने की तैयारी की गई है। पैरेंटिंग कैलेंडर राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के उस भाव के अनुरूप है जिसमें कहा गया है कि अभिभावक व शिक्षकों की बेहतर भागीदारी से ही बच्चों का सर्वांगीण विकास हो सकता है।
अभिभावको की भी जिम्मेदारी-
यह सच है कि बच्चों की रुचियों तथा शैक्षणिक व सह-शैक्षणिक गतिविधियों में स्कूल प्रबंधन के साथ-साथ अभिभावकों की भी बड़ी जिम्मेदारी है। साथ ही अभिभावक अपने बच्चों को घर पर कैसा वातावरण देते हैं, यह जानना शिक्षकों के लिए भी उतना ही जरूरी है। खुले संवाद को प्रोत्साहन दिए बिना यह सब होना इतना आसान नहीं है। स्कूलों में होने वाली पैरेंट्स-टीचर्स मीट,पीटीएम भी अधिकांशत: बच्चों की शैक्षणिक प्रगति की जानकारी देने तक ही सीमित रहती हैं। केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने जो कैलेंडर जारी किया है, उसमें बच्चों से जुड़े कई कार्यक्रमों में अभिभावकों की भागीदारी सुनिश्चित करना तय किया गया है। क्लास रूम से लेकर खेल मैदान तक भी। जाहिर है इसमें अभिभावकों को जोडऩ के लिए स्कूल प्रबंधन की भूमिका ही अहम होगी। पैरेंंटिंग कैलेंडर महज सुझावात्मक नहीं होना चाहिए। इस कैलेंडर के अनुरूप पालना हो सकी तो उम्मीद की जानी चाहिए कि स्कूल प्रबंधन और अभिभावकों के बीच बेहतर संवाद भी कायम हो सकेगा।
हर माह बैठक की जाएगी-
बच्चों, अभिभावकों व शिक्षकों तीनों को जोड़कर उनकी समस्या का समाधान करने के प्रयास से सीबीएसई ने ये नवाचार किया है। पहले तीन-चार माह में अभिभावकों की एक बार बैठक होती थी, अब हर माह बैठक आयोजित की जाएगी।
वेद प्रकाश मीणा, प्राचार्य, केन्द्रीय विद्यालय, झालावाड़।