इतनी चलने पर होती है कंडम घोषित-
निगम से मिली जानकारी के अनुसार मार्ग पर चलाने के लिए रोडवेज की बस आठ साल से पुरानी या 9 लाख किलोमीटर से ज्यादा नहीं चली होनी चाहिए। ऐसी स्थिति में बस को कंडम घोषित करने की सिफारिश की जाती है। बस संचालन से दुर्घटना का अंदेशा रहता है। वर्तमान में लंबी दूरी की ज्यादातर बसों में बैटरी, वायरिंग गियर की समस्या आ रही है। ये समस्या तेज गर्मी में और बढ़ जाती है। ऐसे में अक्सर चालक एवं परिचालकों को बीच राह आगार के वर्कशॅाप में बसों को जांच करानी पड़ती है। झालावाड़ में तो कई बार निजी वर्कशॉप कोतवाली के सामने बसों को सही करवाया जाता है। यह होनी चाहिए व्यवस्था- रोडवेज सूत्रों ने बताया कि कर्मचारी संघ की ओर से प्रतिवर्ष 1 हजार नई बस खरीदने, संचालन घाटे की पूर्ति के लिए 1200 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष बजट में प्रावधान करने और निगम को 6000 करोड़ की पैकेज राशि जारी करने की मांग की गई है। कर्मचारी संघ समय-समय पर रोडवेज को अपनी कई मांगों के लिए अवगत कराता है। प्रदेश में रोडवेज की नकारा बसों के मॉडल – 2012- 141 – 2014-10 – 2015- 17 – 2016-492 – 2017-263
झालावाड़ जिले नकारा बसों के मॉडल
2010-1 2013-13
रोडवेज : फैक्ट फाइल
– निगम में कुल नाकारा बसें-863 – निगम में कुल बसों की संख्या- 2900 – निगम मेंकुल अनुबंधित बसों की संख्या- 872 – झालावाड़ में कुल बसे-51 -नई बसों की जरूरत-30 हां प्रदेश में बसों की कमी तो है। झालावाड़ डिपो की 13 बसे ज्यादा चल चुकी है, इनके प्रस्ताव बनाकर आज ही भेजे हैं। वहां से अनुमति आने के बाद कंडम बसों को केन्द्रीय वर्कशॉप अजमेर भेजा जाएगा।
पवन सैनी, चीफ मैनेजर, रोडवेज डिपो,झालावाड़।