कैसे बनी मुस्कान ‘पिस्टल क्वीन’?
जौनपुर की मुस्कान तिवारी का नाम उत्तर प्रदेश के हथियार तस्करी गिरोहों में तेजी से कुख्यात हो गया। पहले वह सत्यम यादव के साथ मिलकर काम करती थी, लेकिन गिरफ्तारी के बाद अलग-अलग काम करने लगी। मुस्कान को हथियार तस्करी के बदले मोटी रकम मिलती थी, जिससे उसने अपना नेटवर्क मजबूत कर लिया।एसटीएफ के एडिशनल एसपी विशाल विक्रम सिंह के अनुसार, मुस्कान को 15 दिसंबर 2024 को सुल्तानपुर से गिरफ्तार किया गया था। वह गाजीपुर निवासी अंकित कुमार पांडेय और सत्यम यादव के साथ मिलकर अवैध हथियारों की तस्करी कर रही थी। कुछ महीने जेल में बिताने के बाद जमानत पर बाहर आई और फिर से शुभम सिंह के गिरोह के लिए काम शुरू कर दिया।
मेरठ से लाती थी हथियार, जौनपुर में होती थी सप्लाई
मुस्कान तिवारी मेरठ से अवैध हथियार लेकर जौनपुर और अन्य जिलों में सप्लाई करती थी। पुलिस के अनुसार, गिरफ्तार होने से पहले वह जौनपुर के शाहगंज में हथियारों की डिलीवरी करने जा रही थी। इस काम के बदले उसे गैंग के सरगना शुभम सिंह से 50 हजार रुपये मिलने वाले थे। पुलिस से बचने के लिए अपनाया नया तरीका
गिरफ्तारी से बचने के लिए मुस्कान अकेले ही हथियार लेकर सफर करती थी, ताकि शक न हो। पहले वह सत्यम यादव के साथ मिलकर काम करती थी, लेकिन पकड़े जाने के बाद दोनों अलग-अलग तस्करी करने लगे। मुस्कान ने पुलिस से बचने के लिए कई फर्जी पहचान पत्र भी बना रखे थे।
उत्तर प्रदेश में अवैध हथियारों की तस्करी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। पुलिस के आंकड़ों के अनुसार, 2023 में नवंबर तक यूपी में 41,523 अवैध हथियार जब्त किए जा चुके थे। मुस्कान जैसी तस्करों की वजह से ये नेटवर्क और मजबूत होते जा रहे हैं।
शुभम की तलाश में एसटीएफ
एसटीएफ अब मुस्कान तिवारी से पूछताछ कर रही है, जिससे गिरोह के अन्य सदस्यों तक पहुंचा जा सके। शुभम सिंह का गैंग अभी भी सक्रिय है, और पुलिस की नजर अब इस पूरे नेटवर्क पर है।