राजस्थान में कंपनियां बनाएंगी सस्ती बिजली, पर प्रदेश को नहीं मिलेगी 1 यूनिट भी, जानें क्यों
सात घंटे 1500 मेगावाट तक कमी अक्षय ऊर्जा निगम के अफसरों के मुताबिक पीक ऑवर्स के सात घंटे के दौरान अत्यधिक मांग होने के कारण 1200 से 1500 मेगावाट बिजली कमी रहती है। ऐसे में बैटरी स्टोरेज से एक साल में इस दौरान करीब 380 करोड़ यूनिट बिजली की आपूर्ति आसानी से हो सकेगी।राजस्थान में मुफ्त बिजली योजना में इन उपभोक्ताओं को होगा ज्यादा नुकसान, जानें कैसे
स्टोर बिजली का यह उपयोग
1- स्टोरेज बैटरी सोलर पैनल या विंड प्लांट से जुड़े संसाधनों में ही इनबिल्ट होगी। बैटरी में स्टोरेज क्षमता की बिजली तो यहां संग्रहित हो जाएगी और बाकी बिजली का उपयोग तत्काल कर सकेंगे या फिर ग्रिड में चली जाएगी।2- रात में सौर ऊर्जा का उत्पादन नहीं होता है, इसलिए चिन्हित प्लांट, फैक्ट्री या ऑफिस में बिजली का उपयोग करना है तो ग्रिड से लेने की बजाय स्टोरेज ऊर्जा का उपयोग किया जा सकेगा।
3- किसी समय ज्यादा दर पर बिजली मिल रही होगी तो भी स्टोरेज ऊर्जा का उपयोग कर सकेंगे।
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यह है प्राकृतिक उर्जा प्लांट्स की क्षमता
28,286 हजार मेगावॉट क्षमता के सोलर प्लांट्स।5,208 हजार मेगावॉट क्षमता विंड प्लांट्स।
134 मेगावॉट क्षमता बायोमॉस प्रोजक्ट।
24 मेगावॉट क्षमता के स्मॉल हाइड्रो।