जलदाय विभाग की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि झालावाड़ जिले में जल जीवन मिशन के कामों की प्रगति असंतोषजनक पाई गई। अंतिम छोर तक पानी नहीं पहुंचा, समीक्षा और मॉनिटरिंग में ढिलाई बरती गई और समय पर टेंडर आमंत्रित नहीं किए गए, जिससे जिले में जल संकट गहरा गया। इसके मद्देनज़र अधीक्षण अभियंता दीपक झा को उनके पद से हटाकर चीफ इंजीनियर और अतिरिक्त सचिव कार्यालय में एपीओ कर दिया गया है।
राजे की नाराजगी बनी कार्रवाई की वजह
सूत्रों के मुताबिक बताया जा रहा है कि इस कार्रवाई की पृष्ठभूमि में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की कड़ी फटकार और सोशल मीडिया पोस्ट प्रमुख कारण बने। क्योंकि पूर्व सीएम राजे ने हाल ही में ट्वीट करते हुए लिखा था कि क्या जनता को प्यास नहीं लगती? सिर्फ अफसरों को ही लगती है? पानी कागजों में नहीं, लोगों के होठों तक पहुंचे। अफसर सो रहे हैं, लोग रो रहे हैं। मैं ऐसा नहीं होने दूंगी। उन्होंने यह भी सवाल किया कि 42 हजार करोड़ की योजना में झालावाड़ के हिस्से की राशि कहां खर्च हुई?
केंद्रीय मंत्री ने भी जताई थी चिंता
वसुंधरा राजे द्वारा जलदाय विभाग के अफसरों पर टिप्पणी के बाद केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल भी सक्रिय हुए। उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए कहा कि झालावाड़ के पानी संकट पर वसुंधरा जी की चिंता को गंभीरता से लिया गया है और इस संबंध में राज्य सरकार से तथ्यात्मक रिपोर्ट तलब की गई है। नाराजगी के बाद CM ने लिया संज्ञान
इधर, वसुंधरा राजे के तेवरों के बाद मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने भी मामले को गंभीरता से लिया और जलदाय मंत्री व एसीएस सहित आला अफसरों के साथ बैठक कर जल संकट को लेकर सख्त निर्देश दिए। समीक्षा में सामने आया कि जल जीवन मिशन के तहत जिले में योजनाओं की क्रियान्विति में ढिलाई बरती गई थी।
वहीं, सूत्रों से ये भी जानकारी मिली है कि सिर्फ अधीक्षण अभियंता ही नहीं, बल्कि इस लापरवाही में शामिल अन्य अधिकारियों पर भी कार्रवाई की तैयारी है। सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि गर्मी के मौसम में पानी जैसी मूलभूत जरूरतों में कोई कोताही न हो।