डॉक्टरों के अनुसार, इतनी अधिक उम्र के मरीज का ऑपरेशन जोखिम भरा होता है, लेकिन एसएमएस अस्पताल की अनुभवी टीम ने इसे संभव कर दिखाया। मरीज के कूल्हे की हड्डी में चोट लग गई थी, जिससे फ्रेक्चर हो गया था। ऑपरेशन के दौरान महिला के कूल्हे के जोड़ का गोला भी बदला गया। अब मरीज पूरी तरह से स्वस्थ है और डॉक्टरों के अनुसार जल्द ही चलने-फिरने लगेंगी।
उम्र कोई बाधा नहीं
डॉक्टरों का कहना है कि इस ऑपरेशन ने यह साबित कर दिया है कि सही उपचार और विशेषज्ञता के साथ किसी भी उम्र में जटिल ऑपरेशन संभव है। 105 वर्षीय महिला के सफल ऑपरेशन ने बुजुर्गों में एक नई उम्मीद जगा दी है कि बढ़ती उम्र के बावजूद उचित चिकित्सा देखभाल से जीवन को सामान्य बनाया जा सकता है।
डॉक्टरों की टीम ने किया करिश्मा
ऑपरेशन करने वाली टीम में डॉ. अनुराग धाकड़, डॉ. क्षितिज अग्रवाल, डॉ. साहिल, डॉ. अजय, डॉ. संजय पाटीदार, डॉ. वंदना मंगल और डॉ. चित्रा सिंह शामिल थे। टीम ने बताया कि मरीज की उम्र को देखते हुए ऑपरेशन बेहद संवेदनशील था, लेकिन आधुनिक तकनीकों और विशेषज्ञता के बल पर इसे सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया। यह ऑपरेशन न केवल चिकित्सा क्षेत्र के लिए एक बड़ी उपलब्धि है, बल्कि यह संदेश भी देता है कि बढ़ती उम्र के बावजूद आधुनिक चिकित्सा के सहारे स्वस्थ जीवन संभव है।