सुप्रीम कोर्ट के एक मामले में दिए गए फैसले के बाद नगरीय विकास और स्वायत्त शासन विभाग की नींद टूटी और इसी आधार पर आदेश जारी किए। इसमें सभी विकास प्राधिकरण, आवासन मंडल, नगर सुधार न्यास, नगर निगम, नगर परिषद और नगर पालिका को पालना करनी होगी। हालांकि, आदेश तो जारी कर दिए, लेकिन निकायों के लिए इसकी पालना करना किसी चुनौती से कम नहीं होेगा।
अभी बड़े पैमाने पर व्यावसायिक गतिविधियां
लाइसेंस देते समय में अभी तक ज्यादातर मामलों यह नहीं देखा जा रहा है कि भवन निर्माण की अनुमति ली है या नहीं, बिल्डिंग बायलॉज के अनुरूप बना है या नहीं। एक अनुमान के मुताबिक प्रदेशभर ऐसे लाखों भवन हैं। कई स्वीकृत नक्शे के विपरीत बने हैं। ऐसे छोटे-बड़े भवनों में बड़े पैमाने पर लाइसेंस के साथ व्यावसायिक गतिविधियां संचालित हो रही है।तो बिजली-पानी कनेक्शन भी नहीं
आदेश में अन्य इमारतों (जो बिल्डर बना रहे हैं) को लेकर भी स्थिति स्पष्ट की गई है। जब तक भवन का पूर्णता, अधिवास प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया जाएगा, तब तक बैंक-वित्तीय संस्था भी लोन नहीं देंगे। बिजली, पानी व सीवरेज कनेक्शन भी नहीं दिए हैं। बिल्डर भी बुकिंगकर्ता को कब्जा नहीं दे पाएंगे। हालांकि, अभी भी नियम है, लेकिन इसकी पालना नहीं हो रही। इसी तरह निकाय इमारत, भवन का नक्शा जारी करते समय आवेदक अंडरटेकिंग लेंगे।दूसरी एजेंसी को करना होगा सहयोग
1. नगरीय निकाय की ओर से अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई में दूसरी एजेंसी, सरकारी विभाग को सहयोग करना होगा। ऐसा नहीं करने पर जिम्मेदार अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही प्रस्तावित की गई है।2. निर्माणकर्ता को भवन निर्माण स्थल पर अनुमोदित भवन मानचित्र प्रदर्शित करना होगा। संबंधित अधिकारी समय-समय पर निर्माण स्थल का निरीक्षण करेंगे।
3. कोर्ट के आदेश की गंभीरता से पालना करनी होगी। लापरवाही बरतने वालों की जवाबदेही तय होगी।
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