विजय शर्मा 22 अप्रेल को पहलगाम होटल से दोपहर 12 बजे घूमने निकले। एक बजे हम बैसरन घाटी पहुंच गए। यहां आकर हमने खूब फोटो ली और सेल्फी ली। यहां नूडल्स और भेलपुरी के स्पॉट बने हैं। मैंने पत्नी कोमल के साथ नूडल्स का ऑर्डर दिया और भेलपुरी भी लेकर आया। इसके बाद बैठकर खाने लगे। दो बजकर आठ मिनट पर लास्ट फोटो इसी जगह की ली। इसके कुछ देर बाद अचानक अवाज आने लगी। आस-पास वाले लोग बोले पटाखे चल रहे हैं।
दो शॉट आवाज के बाद फिर तीसरा शॉट चला और सामने खड़े पयर्टक के सिर में गोली और वो जमीन पर गिर गया। आतंक का यह नजारा जयपुर के मुरलीपुरा निवासी मिहिर सोनी और कोमल सोनी की आंखों से होकर गुजरा है। राजस्थान पत्रिका को आपबीती में उन्होंने आगे बताया कि यह देखकर हम दहशत में आ गए। हमने भांप लिया था कि अटैक हुआ है। इतने में तो वहां भगदड़ शुरू हो गई। मैंने कोमल का हाथ पकड़ा और एग्जिट गेट की ओर भागना शुरू कर दिया।
वहां एंट्री और एग्जिट गेट आमने-सामने दूरी पर हैं। एग्जिट गेट बहुत छोटा था। इसीलिए वहां भीड़ लग गई। हमने भागकर जान बचाई। बैसरन घाटी और घाटी के रास्ते में पर्यटकों की सुरक्षा के लिए न पुलिस थी न ही आर्मी थी। किसी ने मदद नहीं की। हमने जान बचाने के लिए चार हजार में घोड़ा किया। इसके बाद पहलग्राम पहुंचे। मिहिर का कहना है अभी भी वह नरसंहार हमारी आंखों के सामने तैर रहा है।
…और पर्यटक भागता हुआ गिर गया
हम गेट की ओर से भाग रहे थे, इतने में ही एक और पर्यटक को गोली लगी और वह भी भागता हुआ गिर गया। हमारे सामने दो जनों की मौत हो गई। भगवान को याद कर रहे थे कि बस हम एक बार निकल जाएं। इतने में हमने देखा कि एक आर्मी की वर्दी पहनने आतंकवादी पर्यटक के सिर पर बंदूक ताने खड़ा था और पर्यटक हाथ जोड़े खड़ा था। नीचे आकर हमने देखा कि आर्मी को हमले की सूचना ही नहीं थी। जो पर्यटक नीचे आए उन्होंने ही हमले के बारे में बताया। हमारे आने के बाद आर्मी बैसरन घाटी जाने की तैयारी कर रही थी।
… वे लेफ्टिनेंट विनय नरवाल थे
मिहिर ने बताया कि हमने टीवी पर देखा कि नौसेना अधिकारी लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की उसी हमले में मौत हो गई। विनय ने हमारे साथ भेलपुरी खरीदी थी। वे हमारे पास से गुज़रे थे। मिहिर ने बताया कि 18 फरवरी को हमारी शादी हुई थी। 18 अप्रेल को हम जयपुर से निकले। दिल्ली एयरपोर्ट पर कार पार्क कर श्रीनगर की फ्लाइट पकड़ी।