दीया कुमारी ने कहा कि यदि किसी क्षेत्र में सड़क की आवश्यकता है, तो विधायक इसकी जानकारी दें, हम उसे बनवाएंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि सड़क निर्माण का निर्णय एक विशेष कमेटी द्वारा लिया जाता है, जो कलेक्टर की अध्यक्षता में कार्य करती है। नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने सरकार से सवाल किया कि क्या सड़क निर्माण केवल विधायक की अनुशंसा से होगा या कमेटी खुद भी निर्णय ले सकती है?
इस पर डिप्टी सीएम दीया कुमारी ने जवाब दिया कि यदि कोई सड़क खराब है और जरूरत है, तो कमेटी प्राथमिकता के आधार पर निर्णय लेकर निर्माण कार्य करेगी। विधायक व्यक्तिगत रूप से भी जानकारी भेज सकते हैं, हम निरीक्षण करवा कर काम करवाएंगे। उन्होंने आश्वासन दिया कि सभी विधायकों की सिफारिशों को प्राथमिकता दी जाएगी, भले ही वे किसी भी पार्टी से हों।
गर्भवती महिलाओं के देसी घी पर हंगामा
विधानसभा में विधायक मनीष यादव ने सवाल किया कि सरकार ने संकल्प पत्र में प्रत्येक गर्भवती महिला को 5 लीटर देसी घी देने की घोषणा की थी, लेकिन अभी तक कई महिलाओं को यह लाभ नहीं मिला। इस पर चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने जवाब दिया कि प्रदेश के 6 जिलों- झुंझुनूं, जैसलमेर समेत कुछ अन्य स्थानों पर BPL परिवारों की पहली डिलीवरी पर 3 लीटर घी दिया जा रहा है। डिलीवरी के बाद 2 लीटर और दिया जाता है। अन्य जिलों में BPL और जनजातीय गर्भवती महिलाओं को सरस का कूपन देकर 5 लीटर घी दिया जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार के कार्यकाल में अभी साढ़े तीन साल बाकी हैं और इस योजना को अधिक व्यापक बनाया जाएगा। वहीं, विधायक मनीष यादव और टीकाराम जूली ने आरोप लगाया कि सरकार इस मामले में गुमराह कर रही है और अभी तक सभी लाभार्थियों को यह सुविधा नहीं मिली।
वहीं, इस पर चिकित्सा मंत्री ने सफाई दी कि संकल्प पत्र में कोई तिथि तय नहीं की गई थी। सरकार जल्द ही इस योजना को संपूर्ण रूप से लागू करेगी।
वासुदेव देवनानी ने दी हिदायत
विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने सदन में मौजूद सदस्यों को स्पष्ट हिदायत दी है कि वे प्रश्नकाल के दौरान अपनी तैयारी को बेहतर करें। उन्होंने सुझाव दिया कि विधायक कुछ पुराने और कुछ नए प्रश्नों को शामिल करें, साथ ही प्रश्नों के उत्तर पहले से तैयार रखें और पूरक प्रश्नों की भी अच्छी तैयारी करें। उन्हें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि कौन से प्रश्न पूछने हैं और क्या पूछना है। उन्होंने विधायकों को प्रश्न पूछने की ट्रेनिंग देने की बात कही और मंत्रियों से आग्रह किया कि वे जवाब देते समय संक्षिप्त और बिंदुवार (पॉइंट टू पॉइंट) उत्तर दें। उनका कहना था कि लंबे जवाब देने से कोई लाभ नहीं होगा। मंत्रियों को विधायकों के सवालों की मंशा समझकर उसी के अनुरूप सटीक उत्तर देना चाहिए। ऐसा करने से न केवल अधिक विषयों को कवर किया जा सकेगा, बल्कि अधिक प्रश्नों के जवाब भी संभव हो पाएंगे।