विधानसभा में गूंजा फसल बीमा क्लेम का मुद्दा, कांग्रेस MLA ने पूछा- कंपनी पर कार्रवाई होगी? मंत्री नहीं दे पाए जवाब
Rajasthan Budget Session: राजस्थान विधानसभा के बजट सत्र में सोमवार को कांग्रेस विधायकों ने किसानों के फसल बीमा क्लेम और बिजली उत्पादन को लेकर मंत्रियों को घेर लिया।
Rajasthan Assembly Budget Session 2025: राजस्थान विधानसभा के बजट सत्र में सोमवार को कांग्रेस विधायकों ने किसानों के फसल बीमा क्लेम और बिजली उत्पादन को लेकर मंत्रियों को घेर लिया। इस दौरान फसल बीमा क्लेम में देरी और बिजली खरीद-उत्पादन के आंकड़ों पर तीखी बहस हुई।
अनूपगढ़ से कांग्रेस विधायक शिमला देवी नायक ने फसल बीमा क्लेम में देरी को लेकर सरकार से सवाल किया। उन्होंने कृषि मंत्री केके विश्नोई से पूछा कि बीमा कंपनी किसानों के क्लेम का भुगतान समय पर नहीं कर रही, तो सरकार उनके खिलाफ क्या कार्रवाई कर रही है?
मंत्री-विधायक में इस तरह हुआ संवाद
इस पर मंत्री केके विश्नोई ने जवाब दिया कि अनूपगढ़ विधानसभा क्षेत्र में 157 किसानों का बीमा क्लेम लंबित है और यह प्रक्रिया में है। इस जवाब से असंतुष्ट विधायक शिमला देवी नायक ने कहा कि मैंने पूछा था कि बीमा कंपनी के खिलाफ कार्रवाई होगी या नहीं, लेकिन आपने कुछ और ही बता दिया।
जब विधायक ने पूछा कि बीमा क्लेम में देरी होने पर किसानों को ब्याज मिलेगा या नहीं, तो मंत्री ने कहा कि ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। इस पर विधायक ने कृषि विभाग के नियम और शर्तें पढ़कर सुनाई, जिसमें स्पष्ट लिखा था कि देरी होने पर 12 फीसदी ब्याज देना अनिवार्य है।
इस जवाब से असहज हुए मंत्री ने आगे कोई ठोस जवाब नहीं दिया। विपक्ष के नेता टीकाराम जूली ने भी इस मुद्दे पर मंत्री के अधूरे जवाब पर आपत्ति जताई, लेकिन स्पीकर ने अगला सवाल पुकार लिया।
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बिजली उत्पादन के आंकड़ों में उलझे मंत्री
सत्र के दौरान कांग्रेस विधायक शांति धारीवाल ने ऊर्जा राज्य मंत्री हीरालाल नागर से बिजली उत्पादन और खरीद के आंकड़ों पर सवाल किया। धारीवाल ने कहा कि आपकी रिपोर्ट में कहीं बिजली उत्पादन मेगावाट में बताया गया है और कहीं मिलियन यूनिट में। कृपया एक ही इकाई में सही आंकड़े दें।
इस सवाल के बाद ऊर्जा मंत्री पेज पलटने लगे और काफी देर तक जवाब नहीं दे सके। इस पर धारीवाल ने व्यंग्य करते हुए कहा कि इसे छोड़िए, कम से कम यह तो बता दीजिए कि सरकार ने कितनी बिजली खरीदी। ऊर्जा मंत्री इस सवाल का भी तुरंत जवाब नहीं दे सके और पन्ने पलटते रहे। इससे विपक्ष को सरकार पर निशाना साधने का मौका मिल गया।