Rajasthan Assembly Budget Session 2025: राजस्थान में पुलिसकर्मियों को साप्ताहिक अवकाश देने की कोई योजना नहीं है। विधानसभा में मंगलवार को बजट सत्र के दौरान गृह राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेढ़म ने इस मुद्दे पर साफ जवाब देते हुए कहा कि फिलहाल ऐसा कोई प्रस्ताव सरकार के विचाराधीन नहीं है।
दरअसल, विधानसभा में भाजपा विधायक भेरोराम सियोल ने पुलिसकर्मियों के मेस भत्ते, वाहन सुविधाओं और साइबर अपराधों से निपटने को लेकर सवाल उठाए। इस दौरान उन्होंने पुलिसकर्मियों को साप्ताहिक अवकाश देने के बारे में भी सरकार का रुख जानना चाहा।
इस पर गृह राज्य मंत्री ने स्पष्ट किया कि राजस्थान सरकार हर साल पुलिसकर्मियों को 25 छुट्टियां देती है, जबकि अन्य सरकारी कर्मचारियों को सिर्फ 15 अवकाश मिलते हैं। राजस्थान में पुलिसकर्मियों को दी जाने वाली छुट्टियां अन्य राज्यों की तुलना में सबसे अधिक हैं। पुलिस का कार्य 24×7 सतर्कता की मांग करता है, इसलिए साप्ताहिक अवकाश लागू करना संभव नहीं है।
पूर्व कांग्रेस सरकार के फैसले का भी जिक्र
नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा कि यह ऑन रिकॉर्ड है, तत्कालीन डीजीपी ने पायलट प्रोजेक्ट सफल होने के बाद पूरे प्रदेश के लिए निर्देश जारी किए थे। जोकि सफल भी रहा था। गलत जवाब मत दीजिए। उन्होंने सवाल उठाया कि यदि एक थाने में यह व्यवस्था सफल रही, तो इसे पूरे प्रदेश में लागू क्यों नहीं किया जा सकता?
इस पर गृह राज्य मंत्री ने जवाब दिया कि यह सिर्फ एक प्रयोग के रूप में किया गया था। पुलिस विभाग का काम ऐसा है कि उन्हें हर दिन 24 घंटे ड्यूटी पर रहना पड़ता है। इसीलिए साप्ताहिक अवकाश देना व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है।
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सदम में पुलिस सुविधाओं पर भी चर्चा
प्रश्नकाल के दौरान राजस्थान में बढ़ते साइबर अपराधों पर भी चर्चा हुई। मंत्री ने बताया कि साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर जारी किया गया है। IG स्तर के अधिकारियों को CDR (कॉल डेटा रिकॉर्ड) एक्सेस करने की अनुमति दी गई है। राजस्थान पुलिस ने साइबर अपराधों पर काबू पाने के लिए कई अहम कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा कि पुलिसकर्मियों के मेस भत्ते में समय-समय पर बढ़ोतरी की जाती रही है। पुलिस थानों के लिए नए वाहन पहले भी खरीदे गए हैं, और भविष्य में जरूरत के हिसाब से और वाहन उपलब्ध कराए जाएंगे।
बताते चलें कि विपक्ष सदन में पुलिसकर्मियों के साप्ताहिक अवकाश की मांग कर रहा है। इससे पहले भी कई पुलिस संगठन इस मुद्दे को उठा चुके हैं। लेकिन सरकार का कहना है कि पुलिस की ड्यूटी का स्वरूप अन्य सरकारी विभागों से अलग है, इसलिए इसे लागू करना व्यावहारिक नहीं होगा।