कुछ माह पहले सांगानेर के प्रबुद्धजनों ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से मुलाकात की थी। लोगों ने मुख्यमंत्री को नदी के आस-पास भू-जल स्तर गिरने की जानकारी दी। सीएम के निर्देश के बाद जेडीए सक्रिय हुआ।
वर्ष 2019 में जब नदी किनारे लगे ट्यूबवेल से पानी कम आना शुरू हुआ तो जलदाय विभाग ने भी सर्वे करवाया। उस समय गुर्जर की थड़ी और सुशीलपुरा क्षेत्र में भू-जल स्तर की जांच की गई थी। उसमें सामने आया था कि कई ट्यूबवैल का पानी आधा ही रह गया था।
वर्ष- संख्या
2015- 18
2017- 18
2020- 23
2023- 24
ये भी आया सामने
-नदी के किनारे जो पांच सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट संचालित हैं, वे शोधन मानकों के अनुरूप कर रहे हैं।
-सांगानेर की प्रिंटिंग इकाइयों और अन्य उद्योगों से बिना शोधित गंदा पानी सीधे नदी में जा रहा है।
-मानसून के दौरान नदी के बहाव क्षेत्र में गाद, ठोस अपशिष्ट जमा होने से पानी को तल में जाने के दौरान दिक्कत होती है।
जलस्तर गिरने के ये कारण भी बताए
नदी को पक्का करने के कारण ही जलस्तर नहीं गिरा है। इसके और भी कारण गिनाए हैं।
-फसलों की सिंचाई के लिए ट्यूबवैल से पानी निकालना।
-नगर निगम का पार्कों की सिंचाई के लिए ट्यूबवैल से पानी निकालना।
-जलदाय विभाग व निजी सम्पत्ति मालिक ट्यूबवैल के माध्यम से पानी निकाल रहे हैं।