राजस्थान के श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ एवं बीकानेर क्षेत्र के 30 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में पोटाश के 2,476.58 मिलियन टन भंडारों की खोज हो चुकी है। पोटाश खनन शुरू होने से राजस्थान में पोटाश आधारित उर्वरक उद्योग स्थापित होंगे और तेजी से विकास होगा। वहीं राजस्व व रोजगार में वृद्धि होगी।
इन जिलों में होगा पोटाश खनन
श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, बीकानेर, चूरू, नागौर के कुछ हिस्सों में पोटाश के भंडार मौजूद हैं। बीकानेर, हंसेरा, अर्जुनसर, घड़सीसर, जैतपुर, सतीपुरा, भरूसरी, लाखासर के पास 2% युक्त पोटाश खनिज के 8 उप-बेसिन केंद्रों की पहचान की गई है। इनमें से अंतिम चार भंडारों को पोटाश खनिज के लिए संभावित माना गया है। 3% के कट-ऑफ ग्रेड पर सतीपुरा, भरूसरी और लाखासर उप-बेसिन में 2,476.58 मिलियन टन पोटाश के भंडार हैं। खान ब्लॉक
-खान मंत्रालय वर्तमान में झंडावली-सतीपुरा अमलगमेटेड पोटाश और हैलाइट ब्लॉक -ब्लॉक, जॉर्कियन-सतीपुरा-खुंजा अमलगमेटेड पोटाश, हैलाइट ब्लॉक
कम होगी निर्भरता
देश में पोटाश का हर वर्ष करीब 5 मिलियन टन आयात होता है। इस पर लगभग 10 हजार करोड़ रुपए की विदेशी मुद्रा खर्च होती है। भारत सरकार मुय रूप से कनाडा, रूस, तुर्कमेनिस्तान सहित अन्य देशों से आयात करती है। 90 फीसदी से ज्यादा पोटाश का उपयोग उर्वरक के रूप में किया जाता है।