बता दें, नरेश देव सहारण बाड़मेर पीजी कॉलेज में एनएसयूआई (NSUI) से छात्रसंघ अध्यक्ष रह चुके हैं। वहीं, कांग्रेस सरकार में मनोनीत पार्षद भी बनाया गया था। नरेश पेपर लीक मामले में चार साल से पुलिस की कार्रवाई से बचता रहा, लेकिन अब SOG के हत्थे चढ़ा है।
बताते चलें कि SOG ने करीब एक महीने पहले इस मामले में मुख्य आरोपी हरीश सारण उर्फ हीराराम सारण को इंदौर से गिरफ्तार किया था। जांच के दौरान ही कांग्रेस नेता नरेश देव सहारण का नाम भी सामने आया था। लेकिन, राजनीतिक रसूख के चलते आरोपी अब तक कार्रवाई से बचता रहा।
पेपर लीक मामला कैसे सामने आया?
गौरतलब है कि वनरक्षक भर्ती परीक्षा 2020 का पेपर बाड़मेर से लीक हुआ था। मुख्य आरोपी हरीश सारण ने SOG की पूछताछ में कई खुलासे किए, जिसमें नरेश देव सहारण की भूमिका भी उजागर हुई। इस आधार पर SOG ने शुक्रवार को कार्रवाई कर सहारण को हिरासत में लिया।
चार साल तक कार्रवाई से बचता रहा आरोपी
नरेश देव सहारण का नाम पहले भी पेपर लीक मामले में आया था, लेकिन राजनीतिक संरक्षण की वजह से वह कानूनी कार्रवाई से बचता रहा। बताया जाता है कि पिछली सरकार में कांग्रेस नेता होने के चलते उन पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। मुख्य आरोपी की गिरफ्तारी के बाद SOG ने दबाव बढ़ाया और अब चार साल बाद उन पर शिकंजा कसा गया।
SOG की पूछताछ में जल्द होंगे बड़े खुलासे
SOG की टीम ने नरेश देव सहारण को हिरासत में लेकर जोधपुर ले जाकर पूछताछ की। अब उन्हें जयपुर ले जाने की सूचना है। हालांकि, इस संबंध में कोई आधिकारिक बयान अभी नहीं आया है। SOG की जांच के बाद यह साफ होगा कि नरेश देव सहारण की इस पेपर लीक में क्या भूमिका थी? क्या इस रैकेट में और भी बड़े राजनीतिक नाम शामिल हैं? इस मामले में आगे और किन लोगों की गिरफ्तारी संभव है?