‘भक्तों ने किया व्यसनों का त्याग’
उन्होंने कहा कि इस आश्रम में बाबा बालनाथ की प्रेरणा से 16 साल से लगातार यज्ञ का आयोजन बाबा बस्तीनाथ कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अनेक भक्तों ने यहां आकर कई प्रकार के व्यसनों का त्याग किया, नशामुक्ति की प्रतिज्ञा की, सामाजिक समरसता का प्रतीक बने और बाबा बालनाथ की समाधि को और ऊर्जा और शक्ति प्रदान करने का काम किया। उन्होंने कहा कि इस अखंड धूणी को एक महासिद्ध योगी ने शुरू किया और बाबा बस्तीनाथ इसे आगे बढ़ा रहे हैं।‘निराश लोगों को चेतना मिली’
उन्होंने कहा कि भारत में अनेक संत, महापुरुष, ऋषि, मुनि रहे हैं और बाबा बालनाथ भी ऐसे एक महायोगी थे, जिन्होंने इसी भूमि पर जन्म लेकर देश-विदेश में 84 धूणियों की स्थापना कर अपने पूरे जीवन को धर्ममय बनाने का काम किया। उन्होंने कहा कि मानव योनि के 84 चक्रों से मुक्ति प्राप्त कर जब उन्होंने समाधि ली तब यह स्थान उनके तप से बेहद ऊर्जावान हो गया। शाह ने कहा कि यहां कई हताश मन और जीवन को आशा मिली है, निराश लोगों को चेतना मिली है, बेसहारा लोगों को धर्म का सहारा मिला है और बेजुबान जीवों पर दया के माध्यम से जीवन आगे बढ़े हैं।उन्होंने कहा कि महाप्रभु आदिनाथ से लेकर नौ गुरुओं और उनके बाद ऊर्जा के अनेक वाहकों के माध्यम से सनातन धर्म को नाथ संप्रदाय ने शक्ति देने का काम किया है। उन्होंने कहा कि पृथ्वी, जल, अग्नि, आकाश और वायु के सभी तत्वों को मिलाकर आत्मज्ञान प्राप्त करने का माध्यम नाथ संप्रदाय में धूणी को माना गया है।