याचिकाकर्ता मुरली मनोहर सोनी पर एक युवती से शादी से झांसा देकर रेप करने और मारपीट और धमकी के आरोप में एफआइआर दर्ज की गई थी। गिरफ्तारी से राहत के लिए उसने हाईकोर्ट की शरण ली। उसकी ओर से दलील दी गई कि अनावेदिका से सहमति से संबंध बने थे, झगड़ा होने पर उसकी ओर से आरोप लगाते हुए प्रकरण दर्ज कराया गया। वहीं, आपत्तिकर्ता वकील की ओर से दलील दी कि आवेदक ने पीडि़ता को धमकाया और मारपीट कर संबंध बनाए थे।
पिटाई से उसे चोटें भी आईं थीं। कोर्ट ने रेकॉर्ड और मामले की परिस्थितियों को देखते हुए पाया कि आवेदक को हिरासत में लेने की आवश्यकता नहीं है। लेकिन उसे जांच एजेंसी के साथ सहयोगात्मक रवैया अपनाना होगा। लिहाजा कोर्ट ने सशर्त अग्रिम जमानत देने का आदेश पारित किया।
इन शर्तों का करना होगा पालन
–आरोपी (मुरली मनोहर सोनी) को जांच एजेंसी के साथ सहयोग करने, लैपटॉप और मोबाइल जैसे सभी इलेक्ट्रॉनिक गैजेट जमा करने और फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप आदि जैसे सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के लिए अपने पासवर्ड का खुलासा करने का निर्देश दिया। –पीठ ने उसे पुलिस अधिकारियों द्वारा मांगे जाने पर बॉडी फ्लूड और ब्लड सैंपल देने का भी निर्देश दिया। –आवेदक को निर्देश दिया जाता है कि वह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पीडि़ता या मामले में गवाह बनने वाले किसी अन्य व्यक्ति के साथ कोई संबंध नहीं बनाएगा और न ही उसे प्रेरित या धमकाएगा।
सॉफ्टवेयर इंजीनियर को भी मिल चुकी राहत
इस तरह के एक अन्य मामले में आरोपी भोपाल के सॉफ्टवेयर इंजीनियर को भी हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत की राहत मिल चुकी है। उसे भी डिजिटल डिवाइस व सोशल मीडिया के पासवर्ड साझा करने और लैपटॉप व अन्य उपकरण फोरेंसिक जांच के लिए मांगे जाने पर उपलब्ध कराने के आदेश हाईकोर्ट ने दिए थे। वहीं, इस मामले में आरोपी आवेदक को गिरफ्तारी की दशा में उसे 50 हजार रुपए के निजी मुचलके पर रिहा किया जाएगा। गौरतलब है कि कानून में यह प्रावधान है कि कोर्ट किसी आरोपी को जमानत का लाभ देते हुए शर्त लगा सकती है।