विश्व धरोहर बनने से खुलेगी धुआंधार, चौसठ योगिनी और लम्हेटा घाट के संरक्षण की राह
World Heritage Day : प्राकृतिक और ऐतिहासिक महत्व के इन तीनों पर्यटन स्थलों के यूनेस्को की संभावित सूची में शामिल होने से इनके संरक्षण की संभावना बढ़ गई है। इससे पर्यटकों के अनुकूल अंतरराष्ट्रीय स्तर का विेकास हो सकेगा।
World Heritage Day : धुआंधार में नर्मदा का अप्रतिम पर्यटकों को मंत्र मुग्ध कर देता है तो स्वर्गद्वारी का दीदार कर सैलानी नि:शब्द हो जाते हैं। पंचवटी और बंदरकूदनी से लेकर जबलपुर के पग-पग पर रमणीय स्थल हैं। प्रकृति ने धवल संगमरमरीवादियों, संतुलित शिलाओं, नदी और हरियाली से जबलपुर को खूबसूरती से तराशा है। इनसे ही शहर को मार्बल सिटी के रूप में पहचान मिली है। इसके नजदीक ही प्राचीन चौसठयोगिनी का मंदिर तक्षशिला और नालंदा विश्वविद्यालय के काल के गोलकीमठ विश्वविद्यालय के अवशेष हैं। वहीं कुछ दूरी पर लम्हेटा में करोड़ों साल पुरानी लम्हेटी रॉक हैं। प्राकृतिक और ऐतिहासिक महत्व के इन तीनों पर्यटन स्थलों के यूनेस्को की संभावित सूची में शामिल होने से इनके संरक्षण की संभावना बढ़ गई है। इससे पर्यटकों के अनुकूल अंतरराष्ट्रीय स्तर का विेकास हो सकेगा।
नर्मदा के तेज बहाव ने भारत के सबसे खूबसूरत प्राकृतिक स्थलों में से एक को रचा है। नर्मदा की धार लगभग 30 मीटर नीचे गिरती है, इससे पानी की बूंदें ऐसी बिखरती है जैसे धुआं हो। जिसे देखकर पर्यटक वाह-वाह कह उठते हैं। प्रकृति ने भेड़ाघाट में लगभग 5 किलोमीटर क्षेत्र को बहुत ही खूबसूरती से तराशा है।
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अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल भेड़ाघाट में गोलकीमठ विश्वविद्यालय का अवशेष चौसठयोगिनी मंदिर भी धार्मिक पर्यटन का केन्द्र है। विशेषज्ञों के अनुसार यह तांत्रिक अनुसंधान का केन्द्र रहा है। भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की यहां दुर्लभ प्रतिमा है।
लम्हेटाघाट क्षेत्र में 460 करोड़ साल तक पुरानी चट्टानें हैं। पुरातत्वविदों के अनुसार ये दुनिया की सबसे पुरानी चट्टानें हैं जिनकी लम्हेटी रॉक के नाम से पहचान है। 1928 में पहली बार डायनासोर के जीवाश्म मिले। यहां देश का पहला जियो पार्क का निर्माण स्वीकृत किया गया है। देश के पहले जियोलॉजिकल पार्क से जबलपुर दुनिया के उन सभी जिओ पार्क की नेटवर्किंग में आ जाएगा।
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