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राजस्थान पत्रिका परिचर्चा: आपसी मेलजोल और भाईचारा बढ़ाता है होली का पर्व, दूर होते हैं गिले-शिकवे

रंगो का महापर्व होली स्वास्थ्य, धार्मिक परम्परा, समृद्धि, उल्लास और मनोविनोद एवं सामाजिक सद्भाव बढाने वाला उत्सव है। आज जब पूरे देश में सामाजिक समरसता, सामाजिक सद्भाव और पारस्परिक प्रेम की महती आवश्यकता है। ऐसे में होली का त्योहार समाज में अपेक्षित सामाजिक सौहार्द, सद्भाव, मेलजोल और भाईचारे को बढ़ावा देता है। होली ऐसा त्योहार है जिसमें लोगों के बीच ऊंच- नीच, छोटे- बडे का कोई भेदभाव नहीं रहता। सभी जाति और वर्ग के लोग मिलजुल कर इस पर्व को मनाते हैं। एक वर्ष के अन्दर लोगों के बीच जो भी मतभेद और गिला-शिकवा होता है वह सब होली की आग में भस्म हो जाता है। होली पर बिना किसी भेदभाव के लोग एक दूसरे के गले मिलते हैं। स्नेह, सौहाद्र्र और समरसता का पर्व होली समूचे भारत में हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। होली एवं रंग पंचमी का पर्व प्रवासी किस तरह से मना रहे हैं, इसे लेकर राजस्थान पत्रिका परिचर्चा में प्रवासियों ने अपनी बात रखी। प्रस्तुत हैं परिचर्चा के प्रमुख अंश:

हुबलीMar 17, 2025 / 04:22 pm

ASHOK SINGH RAJPUROHIT

होली एवं रंगपंचमी के पर्व को लेकर हुब्बल्ली में आयोजित राजस्थान पत्रिका परिचर्चा में विचार रखते प्रवासी।

होली एवं रंगपंचमी के पर्व को लेकर हुब्बल्ली में आयोजित राजस्थान पत्रिका परिचर्चा में विचार रखते प्रवासी।

इस बार आंगी गेर
श्री आंजणा पटेल समाज सेवा संघ हुब्बल्ली-धारवाड़ के सचिव वगताराम चौधरी पारलू कहते हैं, हुब्बल्ली में पिछले आठ वर्ष से राजेश्वर भवन के पास गेर नृत्य का आयोजन किया जा रहा है। इस साल पहली बार आंगी गेर का आयोजन भी यहां किया जाएगा। रंग पंचमी पर रंग खेलने की परम्परा रही है। इसके साथ ही होली का पर्व परम्परागत तरीके से मना रहे हैं। हर साल होली दहन भी किया जा रहा है।
गांवों में होली का उल्सास
बालोतरा जिले के आसोतरा निवासी अणदाराम तरक कहते हैं, राजस्थान के गांवों मेें होली का उल्लास अधिक देखने को मिलता है। ग्रामीण इलाकों में होली पर गेर का आयोजन किया जाता है। बच्चों की ढूंढ की जाती है। गांवों में होली को लेकर गजब का चाव देखने को मिलता है। गांव के बीच चौराहों पर गेर की प्रस्तुति दी जाती है।
रंगों से सराबोर होली
थोब निवासी समरथाराम कूकल कहते हैं, मैं करीब तीन दशक से हुब्बल्ली में निवास कर रहा हूं। राजस्थान की तरह यहां भी होली का खूब चाव देखने को मिलता है। रंगपंचमी के दिन रंगों से सराबोर होली खेली जाती है। होली आज भी परम्परागत तरीके से मनाई जा रही है। जिस तरह राजस्थान में होली मनाते हैं, वैसे ही कर्नाटक में भी खूब चाव है।
उमंग का त्योहार
अराबा उड़ा निवासी भीमाराम करड़ कहते हैं, होली का पर्व भाईचारे का पर्व है। सभी जाति-वर्ग के लोग होली के पर्व को सामूहिक रूप से मनाते हैं। होली एक उल्लास व उमंग का त्यौहार है। होली ऐसा त्योहार है जो सारे गिले-शिकवे दूर कर देता है। होली का पर्व जोडऩे का काम करता है। आपस में एक-दूसरे के करीब लाता है।
चंग गेर का रिवाज
बागलोप निवासी शेराराम कहते हैं, राजस्थान में चंग गेर का रिवाज आज भी बना हुआ है। आपस में रंग डालकर होली की खुशी जताई जाती है। हमारे गांव बागलोप में होली का पर्व खुशी व उत्साह के साथ मनाया जाता है। होलिका दहन के साथ ही इस दिन कई विशेष आयोजन होते हैं। चंग की थाप पर नृत्य खास आकर्षण का केन्द्र रहता है।
बच्चों की ढूंढ
चारलाई निवासी ओमाराम पटेल कहते हैं, चंग के साथ होली दहन की परम्परा आज भी गांवों मेंं कायम है। फाल्गुन गीत गाए जाते हैं। हमारे गांव में गेर नहीं होती। उमंग एवं उत्साह के साथ रंगों से सरोबार होली खेली जाती है। एक-दूसरे के घर जाकर होली की शुभकामनाएं दी जाती है। बच्चों की ढूंढ करने का रिवाज भी है।

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