नवजातों में एसोफेगल एट्रीसिया और ट्रेकियोएसोफेजियल फिस्टुला क्या हैं?
(प्रश्नकर्ता: सोनम सिंह)एसोफेगल एट्रीसिया एक जन्मजात स्थिति है जिसमें भोजन की नली (इसोफेगस) पूरी नहीं बनी होती और पेट तक नहीं पहुंचती। वहीं ट्रेकियोएसोफेजियल फिस्टुला में सांस की नली और भोजन की नली के बीच असामान्य जुड़ाव होता है।
लक्षण:
दूध पीते समय खांसी और त्वचा का नीला पड़ना
(प्रश्नकर्ता: अविनाश शर्मा)यह लक्षण जन्मजात श्वसन और पाचन प्रणाली में विकृति के संकेत हो सकते हैं जैसे कि ट्रेकियोएसोफेजियल फिस्टुला। यह सर्जिकल इमरजेंसी हो सकती है और तुरंत विशेषज्ञ की सलाह लेनी चाहिए।
क्या पेट दर्द, उल्टी और मल में खून आना इंटससेप्शन है?
(प्रश्नकर्ता: रक्षिता स्वामी)इंटससेप्शन एक मेडिकल इमरजेंसी है जिसमें आंत का एक हिस्सा दूसरे हिस्से में घुस जाता है। लक्षण: अचानक तेज पेट दर्द
बार-बार पेट फूलना और उल्टी होना किस गंभीर स्थिति का संकेत है?
(प्रश्नकर्ता: संयोगिता सक्सेना)यह लक्षण पाइलोरिक स्टेनोसिस, आंतों में रुकावट या हिर्शस्प्रंग रोग का संकेत हो सकते हैं। यदि उल्टी प्रोजेक्टाइल (जोर से बाहर निकलती) हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
मिकोनियम प्लग सिंड्रोम बनाम हिर्शस्प्रंग रोग
(प्रश्नकर्ता: अदिति त्यागी)मिकोनियम प्लग सिंड्रोम: नवजात शिशु का मल पहली बार ठीक से न आना। हिर्शस्प्रंग रोग: बड़ी आंत का वह हिस्सा जिसमें नर्व सेल्स नहीं होते, जिससे मल रुक जाता है।
सर्कमसिजन कब और क्यों करवाना चाहिए?
(प्रश्नकर्ता: सुनील साहू)सामान्यतः यह धार्मिक या सांस्कृतिक कारणों से करवाया जाता है, परंतु फीमोसिस, बार-बार इंफेक्शन, या मूत्र मार्ग की रुकावट जैसे मेडिकल कारणों से सर्जरी की जाती है। सही उम्र डॉक्टर के परामर्श से तय होती है।
इंगुइनल हर्निया और हाइड्रोसील में क्या अंतर है?
(प्रश्नकर्ता: गिरीश वैद्य) इंगुइनल हर्निया: आंत का भाग पेट की दीवार से बाहर की ओर आ जाता है। हाइड्रोसील: अंडकोष के पास तरल इकट्ठा होना।क्या नवजातों में स्कैनिंग से समस्याएं पहले पकड़ी जा सकती हैं?
(प्रश्नकर्ता: ईशा माहवर)हाँ, एंटेनेटल स्कैनिंग से कई जन्मजात विकृतियों जैसे किडनी की समस्याएं, पेट में गांठ, हर्निया आदि की पहचान गर्भ में ही की जा सकती है। इससे जन्म के तुरंत बाद सही इलाज संभव होता है।
पाइलोरिक स्टेनोसिस की पहचान कैसे करें?
(प्रश्नकर्ता: एकता कौर)यह स्थिति आमतौर पर 2 से 6 सप्ताह के शिशुओं में होती है। लक्षण: – हर बार दूध पिलाने के बाद जोरदार उल्टी
– डायग्नोसिस के लिए अल्ट्रासाउंड सबसे सटीक तरीका है। इलाज केवल सर्जरी है।