क्या गर्मियों में पीला पेशाब आना सामान्य है (Is it normal to have yellow urine in summer)
गर्मी के मौसम में शरीर से पसीना अधिक निकलता है, जिससे डिहाइड्रेशन यानी पानी की कमी हो सकती है। इसका सीधा असर हमारे पेशाब के रंग पर भी पड़ता है। अक्सर देखा गया है कि गर्मी के दिनों में पेशाब का रंग हल्का या कभी-कभी गाढ़ा पीला हो जाता है। यह स्थिति अधिकतर मामलों में सामान्य मानी जाती है, लेकिन कुछ स्थितियों में यह किसी स्वास्थ्य समस्या का संकेत भी हो सकती है।गर्मियों में पेशाब पीला क्यों हो जाता है (Why does urine turn yellow in summer)
पानी की कमी (डिहाइड्रेशन)गर्मी में पसीना अधिक आता है जिससे शरीर से पानी और जरूरी इलेक्ट्रोलाइट्स की मात्रा कम हो जाती है। इस वजह से पेशाब गाढ़ा और पीले रंग का हो जाता है।
अनियमित खान-पान
बहुत अधिक तला-भुना, मिर्च-मसाले वाला खाना या फिर शराब, कॉफी और चाय का अधिक सेवन भी यूरिन को पीला कर सकता है।
स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं
अगर पेशाब लंबे समय तक गाढ़ा पीला रहता है, तो यह किडनी, लिवर या यूटीआई जैसी बीमारियों का संकेत हो सकता है।
विटामिन सप्लीमेंट्स और दवाएं
कुछ मल्टीविटामिन्स, खासकर विटामिन B कॉम्प्लेक्स, भी पेशाब का रंग बदल सकते हैं।
यूरिन का रंग पीला होना क्या चिंताजनक है (Is it worrying if the urine is yellow in color)
यदि यूरिन का रंग सिर्फ गर्मी की वजह से हल्का या मध्यम पीला हो, और आप पर्याप्त पानी पी रहे हैं, तो चिंता की बात नहीं है। लेकिन अगर पेशाब का रंग कई दिनों तक लगातार गहरा पीला बना रहे,पेशाब में जलन या दुर्गंध हो,या पेशाब कम मात्रा में आ रहा हो,तो यह किसी स्वास्थ्य समस्या का संकेत हो सकता है, जैसे कि किडनी या लिवर से जुड़ी बीमारी।पेशाब का रंग बदलने पर क्या करें (What to do if urine color changes)
पर्याप्त मात्रा में पानी पिएंरोजाना 8–10 गिलास पानी पीने की कोशिश करें। गर्मी में शरीर को हाइड्रेटेड रखना बेहद जरूरी है।
कॉफी, चाय और शराब का सीमित सेवन करें, क्योंकि ये Diuretic होते हैं और शरीर से ज्यादा पानी निकालते हैं। स्वस्थ भोजन अपनाएं
ताजे फल, सब्जियां, सलाद और हल्का खाना खाएं। नमक और मसाले की मात्रा सीमित करें।
अगर यूरिन का रंग लगातार पीला, गाढ़ा या बदबूदार हो, या पेशाब करते समय जलन हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।