Cornea Transplant : क्यों जरूरी था ड्रोन से कॉर्निया की डिलीवरी?
कॉर्निया की गुणवत्ता समय के साथ घटती जाती है, इसलिए इसे तेजी से अस्पताल पहुंचाना बेहद जरूरी होता है। यदि कॉर्निया समय पर न पहुंचे, तो प्रत्यारोपण असफल हो सकता है और मरीज की दृष्टि बचाने का अवसर खो सकता है।आइसीएमआर (ICMR) ने एम्स नई दिल्ली और डॉ श्रॉफ चेरिटी आई हॉस्पिटल के साथ मिलकर और नागरिक उड्डयन मंत्रालय के सहयोग से एक व्यवहार्यता अध्ययन किया, जिसमें प्रत्यारोपण प्रक्रियाओं के लिए मानव कॉर्निया और एमनियोटिक झिल्ली ग्राफ्ट जैसे संवेदनशील नेत्र संबंधी बायोमटीरियल को आसपास के संग्रह केंद्रों से हरियाणा के सोनीपत और झज्जर में तृतीयक अस्पतालों तक ले जाने के लिए ड्रोन के इस्तेमाल की संभावना का आकलन किया गया।
ICMR Drone Cornea Delivery : ड्रोन ने कितना तेज किया कॉर्निया का सफर?
ड्रोन ने डॉ श्रॉफ चेरिटी आई हॉस्पिटल (सोनीपत केंद्र) से कॉर्निया के ऊतकों को राष्ट्रीय कैंसर संस्थान (एनसीआइ), एम्स झज्जर और उसके बाद एम्स नई दिल्ली तक सफलतापूर्वक पहुंचाया। दो शहरों के बीच की दूरी ड्रोन के जरिए लगभग 40 मिनट में तय की गई, जिसे सड़क मार्ग से तय करने में आमतौर पर दो से ढाई घंटे लगते हैं।स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग (डीएचआर) के सचिव और आइसीएमआर के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल ने कहा कि आइ-ड्रोन पहल की शुरुआत कोविड-19 के दौरान वैक्सीन पहुंचाने के लिए हुई थी पर अब यह तकनीक नेत्र प्रत्यारोपण सहित अन्य चिकित्सा क्षेत्रों में भी मदद कर रही है। इससे अधिक मरीजों को समय पर इलाज मिल सकेगा और उनकी दृष्टि बचाई जा सकेगी।