1,22,000 लोगों पर अध्ययन शोध के दौरान 1,22,000 से ज्यादा लोगोंं पर अध्ययन किया गया। इनमें से 41 प्रतिशत लोग रोज सोने से पहले फोन पर स्क्रॉल करते थे। स्क्रीन का इस्तेमाल नहीं करने वालों की तुलना में उनकी खराब नींद की संभावना 33 प्रतिशत अधिक मिली।
यह है परेशानी अंधेरे में हमारे शरीर में मेलाटोनिन हार्मोन बनता है। इस काम हमें नींद आती है। शोध के मुताबिक फोन या दूसरे डिजिटल स्क्रीन से निकलने वाली रोशनी मेलाटोनिन बनने नहीं देती। इससे नींद का प्राकृतिक चक्र बिगड़ जाता है।