बिना अनुमति खोदी सरकारी जमीन: हरदा तहसील की ग्राम पंचायत गहाल में मुरम और मिटटी माफिया ने बिना प्रशासनिक अनुमति के ही सरकारी जमीन से हजारों डंपर मिटटी और मुरम मशीनों से खोदकर बाजार में बेच डाली। गांव के लोग बताते हैं कि यह पटटे की जमीन है,जिस पर खुदाई की अनुमति नहीं दी जा सकती है। फिर भी यहां 15 दिन बेखौफ पोकलेन,जेसीबी से खुदाई चली,लेकिन पटवारी,आरआई,नायब तहसीलदार किसी ने शिकायतों पर कार्रवाई नहीं की।
मुरम के लालच में खोदी खाई: हरदा से 18 किमी दूर हंडिया तहसील में बागरुल की पहाड़ी पर मुरम की खदान है। यहां मुरम माफिया ने राजनीतिक सांठगांठ के दम पर दिन रात मशीनों से खुदाई की। शहर में बन रही कॉलोनियों और अन्य जगहों पर मुरम बेचकर मुनाफा कमाया। कभी पहाड़ी नजर आने वाली इस जगह पर अब अवैध खनन से गहरी खाई हो गई है। बारिश में इनमें पानी जमा होगा,जो किसी मवेशी या व्यक्ति के लिए अंजाने में मौत का कारण बनेगा।
टापू बन जाएगा अंधेरीखेड़ा: जिले में फोरलेन बना रही पाथ इंडिया कंपनी और उससे जुड़े ठेकेदारों ने अशिक्षित गरीब आदिवासियों की जमीन को समतल करने के नाम पर पोकलेन से खुदाई की। जमीन से करीब 70 फीट नीचे तक खुदाई से खाई बन गई है। जिसमें बारिश में पानी जमा होगा। बिजली के खंभे भी उखड़े हैं, ऐसे में खंभे गिरने या फाल्ट होने पर बारिश में यहां टीम का पहुंचना मुशकिल होगा। ग्रामीणों को अंधेरे में रहना पड़ सकता है।
नदी को भी नहीं छोड़ा: जिले में नदियों के किनारे पर भी माफिया अवैध खनन से परहेज नहीं कर रहा है। हैरत की बात यह है कि अधिकारी कार्रवाई तो दूर,निरीक्षण करने या अनुमति के बारे में जानकारी देने को भी राजी नहीं हैं। हरदा से 4 किमी दूर कडोला में मटकुल नदी किनारे बेखौफ सैकड़ों डंपर मिटटी बजरी खोदकर किसानों के खेतों में डालकर माफिया ने मुनाफा कमाया। खनिज अफसरों से जानकारी मांगी तो फोन उठाना बंद कर दिया। उड़ा में भी नदी किनारे गहरी खाई हो गई है।
इनका कहना है गहाल का मामला अभी मेरी जानकारी में नहीं है। संभव है कि एडीएम ने परमिशन दी हो,मैं उनसे जानकारी लेकर वास्तविक स्थिति बताता हूं।
-आरके झरब़डे,तहसीलदार,हरदा