बंद हो गए उद्योग, गुम हो गया भविष्य
गुना शहर से कुछ किलोमीटर दूर स्थित केएस ऑयल जहां कभी तीन सौ से ज्यादा लोगों को रोज़गार मिलता था, अब वीरान पड़ा है। यही हाल कुसमौदा औद्योगिक क्षेत्र का है, जहां बीस से ज्यादा इकाइयां बंद हो गई हैं। इन बंद इकाइयों की जगह अब मैरिज गार्डन और अन्य गैर-औद्योगिक गतिविधियां संचालित हो रही हैं। यही कारण है कि जिले के युवा, खासकर कुंभराज, आरोन, बमौरी जैसे क्षेत्रों से अहमदाबाद और मुंबई की ओर पलायन कर रहे हैं। यह भी पढ़े –
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हाल ही में हुए ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में जिले के लिए 13 कंपनियों ने कुल 2529 करोड़ रुपए के निवेश के 13 एमओयू किए हैं। इनसे लगभग 523 लोगों को रोजगार मिलने की उम्मीद जताई गई है। लेकिन जब जिले में पहले से स्थापित उद्योग ही दम तोड़ रहे हैं, तो इन वादों पर विश्वास करना आम जनता के लिए मुश्किल हो गया है।
फूड प्रोसेसिंग और ग्रीन एनर्जी
हालांकि गुना जिले में फूड प्रोसेसिंग और ग्रीन एनर्जी के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं। जिले में धनिया, गेहूं और मक्का की भरपूर पैदावार होती है। कुंभराज का धनिया, जो कि “एक जिला एक उत्पाद” योजना में शामिल है, मध्यप्रदेश ही नहीं बल्कि विदेशों तक निर्यात होता है। स्पाइसेस पार्क की स्थापना यहां के किसानों और उद्यमियों के लिए उम्मीद की किरण है। यह भी पढ़े –
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जिले में औद्योगिक विस्तार के लिए जमीन की कमी नहीं है। चैनपुरा में 334 हेक्टेयर पिपरौदा खुर्द में 37 हेक्टेयर, और मावन में 32 हेक्टेयर जमीन उद्योग विभाग द्वारा पहले ही आरक्षित की जा चुकी है। खासकर पिपरौदा खुर्द में औद्योगिक केंद्र विकास निगम जमीन का लेबलीकरण कर रहा है।
यहां साइकिल फैक्टरी के लिए विशेष रूप से भूमि आरक्षित है, जहां अलग-अलग प्रकार के साइकिल पार्ट्स बनाए जा सकते हैं। यह क्षेत्र आने वाले वर्षों में रोजगार सृजन का बड़ा केंद्र बन सकता है, अगर नियोजन और क्रियान्वयन सही दिशा में हो।
युवाओं को चाहिए आश्वासन नहीं
जिले के हजारों युवा अब घोषणाओं और एमओयू के झुनझुने से थक चुके हैं। उन्हें चाहिए ठोस रोजगार स्थाई इकाइयांऔर राजनीति से परे विकास। अगर चेनपुरा और पिपरौदा खुर्द में प्रस्तावित नई इकाइयां समय पर लगती हैं, तो यह जिले की तस्वीर बदल सकती हैं। वरना यह संकट और गहराता जाएगा।