एप्रन खाली न होने से विमानों को उतरने के लिए नहीं मिलता जगह
यह नया सिस्टम अगर चालू हो गया तो शाम चार बजे जाने वाली कोलकाता की फ्लाइट एक मई से दोपहर एक बजे से कोलकाता के लिए रवाना होगी। इस बदलाव से शाम के स्लॉट में एक फ्लाइट कम हो जाएगी। इससे एप्रन के खाली न होने का संकट काफी हद तक कम हो जाएगा। हालांकि नए शेड्यूल के प्रस्ताव पर अभी अंतिम मंजूरी नहीं मिली है।
15 अप्रैल की तय सीमा के बाद भी नहीं बन पाया दूसरा एप्रन
जैसा कि मालूम हो इन दिनों एयरपोर्ट पर सिंगल एप्रन ने यात्रियों की दुश्वारियां बढ़ा दी है। आए दिन लैंडिंग के समय किसी न किसी जहाज में यात्री फंस जा रहे हैं और मजबूरन घंटों उन्हें विमान में ही बैठे रहना पड़ रहा है। निर्माणाधीन एप्रन भी अभी तक नहीं बन पाया, इस बाबत पता किया गया तो पता चला कि पंद्रह अप्रैल तक ही पूरा होना था लेकिन अभी और कई दिन लगेंगे इसके निर्माण में।
घंटों विमान टैक्सी वे में खड़ा रह रहा है, यात्रियों को हो रही दिक्कत
एप्रन की कमी से इस माह कई बार ऐसा हुआ जब विमान गोरखपुर पहुंचने पर उतरने के लिए जगह न होने के कारण हवा में चक्कर लगाते रहे। इसके बाद भी जिम्मेदारों को कोई फर्क नहीं पड़ रहा है।सिंगल एप्रन होने की वजह से फ्लाइट लेट होने पर उसे पार्किंग में जगह नहीं मिल पाती है। पार्किंग में पहले शेड्यूल फ्लाइट के लगे होने की वजह से लैंड होने वाली फ्लाइट को टैक्सी-वे में खड़ा कर दिया जाता है। यहां पर लैडर की सुविधा न होने की वजह से मजबूरन यात्री नहीं उतर पाते हैं और एप्रन में आने के पहले तक फ्लाइट में ही कैद रहना पड़ता है।