CG School: गरियाबंद जिले में 10 स्कूल खोले
पत्रिका के पास जो दस्तावेज मौजूद हैं, उनसे साफ होता है कि यह खेला प्रतिनियुक्ति पर आए तत्कालीन डीएमसी श्याम चंद्राकर के दिशा-निर्देश पर खेला गया था। दरअसल, यूपीएएसी और सेंट्रल लेवल की दूसरी परीक्षाओं लायक राज्य के ग्रामीण बच्चों को तैयार करने के लिए भाजपा की पिछली सरकार ने इग्नाइट स्कूलों को खोला था। हर ब्लॉक में एक प्राइमरी और मिडिल मिलाकर गरियाबंद जिले में कुल 10 स्कूल खोले गए। 2019 में कॉन्ग्रेस सरकार आई। आत्मानंद अंग्रेजी स्कूलों का कॉन्सेप्ट आया। हालांकि, इनके बदले पुराने इग्नाइट स्कूलों को बंद करने की कोई योजना नहीं थी। यही वजह है कि शिक्षा विभाग ने जिले के 5 अलग स्कूलों को आत्मानंद प्रोजेक्ट में शामिल करने के निर्देश दिए थे। तत्कालीन डीएमसी श्याम चंद्राकर ने विभाग की ओर से चिन्हित इन स्कूलों में मनमर्जी से फेरबदल करते हुए भाजपा के इग्नाइट स्कूलों में आत्मानंद प्रोजेक्ट मर्ज कर दिया।
इसका नुकसान ये कि जिस जिले के खाते में 15 सरकारी अंग्रेजी स्कूल होने थे, आज सिर्फ 5 हैं। यहां भी बच्चे सीबीएसई की जगह सीजी बोर्ड पढ़ने को मजबूर हैं। इन स्कूलों के बंद होने के लिए जो जिम्मेदार है, उसे सजा मिलने की जगह जिला मुख्यालय में बिठाकर जिम्मेदारियों वाले काम दिए जा रहे हैं। कलेक्टर को विभाग क्या कितना सच बताता है? यह रिपोर्ट आने के बाद ही पता चलेगा।
अभी बोर्ड परीक्षाओं को लेकर निकले आदेश में स्पष्ट उल्लेख
भाजपा सरकार में खुले इन अंग्रेजी माध्यम स्कूलों के नाम को लेकर भी अफसर गोल-गोल रानी करते रहे। हालांकि, डीपीआई की ओर से पिछले दिनों जारी आदेश में इन स्कूलों को स्पष्ट रूप से इग्नाइट नाम से उल्लेखित किया गया है। 5वीं-8वीं बोर्ड परीक्षाओं को लेकर निकाले गए इस आदेश में जिला शिक्षा अधिकारियों से कहा गया था कि इग्नाइट स्कूलों के लिए अलग से प्रश्न पत्र तैयार करवाए जाएं क्योंकि यहां सीबीएसई बोर्ड की पढ़ाई होती है। गरियाबंद में भी शिक्षा विभाग को इस आदेश की एक कॉपी मिली थी। अफसर खुद ही इन स्कूलों को बंद करके बैठे हैं तो क्या प्रश्नपत्र तैयार करवाएंगे। जबकि, दूसरे जिलों में गरीब परिवारों के बच्चे इग्नाइट स्कूलों में सीबीएसई पैटर्न पर पढ़ाई कर बड़े शहरों के बच्चों को टक्कर देने के लिए तैयार हो रहे हैं।
गरियाबंद जिले में इग्नाइट स्कूलों को बिना सरकारी आदेश बंद करने का मुद्दा पत्रिका ने सबसे पहले ‘शिक्षा विभाग का उल्टा चश्मा’ सीरिज के तहत उठाया था। तकरीबन महीनेभर पहले जिला शिक्षा विभाग के अफसरों ने तो इग्नाइट नाम के किसी स्कूल को भी पहचानने से इनकार कर दिया था। खबर छपी, तो जिले के वरिष्ठ अफसरों को जवाब देते नहीं बना।
ऐसे में मानना पड़ा कि इग्नाइट नाम के कोई स्कूल गरियाबंद में संचालित थे। इसके बाद अफसरों ने नया पैंतरा खेला। बोलने लगे कि दूसरे जिलों में बंद है। पड़ताल में पता चला कि पूरे संभाग में ये स्कूल बंद नहीं हुए हैं। इस बार भी मामला दबाने प्रदेश के ऐसे जिले तलाशे जा रहे हैं जहां इग्नाइट बंद हो गए हैं। बजाय इसके कि जहां ये स्कूल चल रहे हैं, उन्हें देखा जाए।
कलेक्टर दीपक कुमार अग्रवाल ने कहा कि इग्नाइट स्कूलों को बंद करने के मामले में शिकायत मिली है। जिला शिक्षा अधिकारी से रिपोर्ट मांगी है। सारे तथ्य सामने आ जाएं, फिर आगे की कार्रवाई करेंगे।
जिला शिक्षा अधिकारी ने बताया कि इग्नाइट स्कूलों का मामला मेरे आने से पहले का है। संबंधितों से जानकारी जुटा रहे हैं। इसके बाद रिपोर्ट तैयार कर कलेक्टर को भेजेंगे।