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मध्य प्रदेश चुनाव कांग्रेस-भाजपा के लिए आसान नहीं, AAP बिगाड़ सकती है खेल, बसपा-सपा के लिए भी कठिन डगर

Madhya Pradesh Assembly Election मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा, कांग्रेस का खेल आम आदमी पार्टी बिगाड़ सकती है। मध्य प्रदेश में मजबूत क्षेत्रीय दल का अभाव है। इस चुनाव में बसपा-सपा के लिए राह कठिन है। साथ ही तेलंगाना मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की भारत राष्ट्र समिति एमपी में अपनी पार्टी का विस्तार कर रही है।

Jun 18, 2023 / 12:33 pm

Sanjay Kumar Srivastava

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आम आदमी पार्टी

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में अपना परचम फहराने के लिए भाजपा और कांग्रेस पूरे दमखम के साथ जुट गई है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने तो शुरूआत कर दी है तो भाजपा की तरफ से पीएम नरेंद्र मोदी 27 जून से प्रचार अभियान शुरू करेंगे। पर भाजपा-कांग्रेस को मध्य प्रदेश में आम आदमी पार्टी की उपस्थिति खटक रही है। क्योंकि AAP भाजपा-कांग्रेस का खेल बिगाड़ सकती है। इसके अतिरिक्त एक मजबूत क्षेत्रीय राजनीतिक दल संगठन के अभाव में कुछ अन्य दल अपने क्षेत्रों का विस्तार कर रहे हैं। इस बार बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी की डगर भी बहुत कठिन है।

साल 2022 में ‘कोयला नगरी’ सिंगरौली में मेयर पद जीतकर शानदार एंट्री करने वाली AAP ने सबको चौंका दिया। दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी इस साल पहली बार मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव लड़ेगी। जनवरी में ‘आप’ ने राज्य की कार्यकारिणी को भंग कर दिया और दो महीने बाद सिंगरौली मेयर का चुनाव रानी अग्रवाल ने जीत लिया। पार्टी ने उन्हें प्रदेश अध्यक्ष के रूप में भी पदोन्नत किया।


230 सीटों पर आप लड़ेंगी चुनाव

मार्च में सीएम केजरीवाल ने सभी 230 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने के फैसले की घोषणा की थी। अपनी घोषणा में, उन्होंने मध्य प्रदेश में सत्ता में आने पर मुफ्त बिजली, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा के लिए ‘दिल्ली मॉडल’ की अवधारणा का हवाला दिया। ‘आप’ ने अभी तक मुख्यमंत्री पद के लिए चेहरे की घोषणा नहीं की है, पर सूत्रों ने दावा किया है कि वह भाजपा और कांग्रेस दोनों के कुछ बड़े नेताओं के साथ बातचीत कर रही है।
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भाजपा-कांग्रेस से नाराज कई नेता AAP में होंगे शामिल

मध्य प्रदेश के राजनीतिक गलियारों से यह खबर निकल कर आ रही है कि, कई नेता भाजपा और कांग्रेस से दूरी बना रहे हैं। और राजनीति में आगे बढ़ने के लिए ‘AAP’ की झाडू पकड़ने की जुगत में हैं। राजनीतिक पंड़ितों का मानना है कि कई कारणों से ‘आप’ का मध्य प्रदेश में ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ेगा, पर यह भाजपा और कांग्रेस के उम्मीदवारों के लिए खेल बिगाड़ सकती है।

मध्य प्रदेश में ‘आप’ क्यों सफल नहीं होगी?

राज्य-आधारित एक राजनीतिक पर्यवेक्षक ने बताया कि मध्य प्रदेश में ‘आप’ क्यों सफल नहीं होगी?

1. जनता के मुद्दों की आप कार्यकर्ता ने अभी नहीं लड़ी लड़ाई।
2. मुफ्त गिफ्ट देने में कांग्रेस और भाजपा भी शामिल।
3. मंत्रियों के खिलाफ हुए भ्रष्टाचार ने आप को झटका दिया।

बताया जा रहा है कि, अगर आप को कुछ फायदा होगा वो उम्मीदवार का अपना प्रभाव होगा। या फिर भाजपा, कांग्रेस उम्मीदवारों के बीच की आंतरिक लड़ाई से फायदा मिल सकता है।

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सपा-बसपा के विधायकों ने पहना भगवा चोला

अब बात आई बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी की। तो बसपा और सपा काफी जनाधार गंवाने के बावजूद भी चुनाव लड़ेंगी। जहां सपा के एकमात्र मौजूदा विधायक राजेश शुक्ला (बिजावर) पिछले साल जनवरी में राष्ट्रपति चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हो गए थे, वहीं बसपा के मौजूदा विधायक संजीव कुशवाहा भी भगवा पार्टी में शामिल हो गए हैं। रीवा की मनगवां सीट से बसपा की पूर्व विधायक शीला त्यागी कांग्रेस में शामिल हो गईं।

बीआरएस कर रहा है एमपी में विस्तार

तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) ने भी मध्य प्रदेश में विस्तार करना शुरू कर दिया है और हाल ही में दो प्रमुख चेहरों बुद्धसेन पटेल और व्यापम के व्हिसलब्लोअर आनंद राय को पार्टी में शामिल किया है। सूत्रों ने बताया कि बीआरएस जल्द ही महाराष्ट्र की तर्ज पर सभी छह जोन में अपना कार्यालय स्थापित करने की योजना बना रहा है।

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