ई-मंडी संचालन से पारदर्शिता बढऩे से किसानों के साथ होने वाली धोखाधड़ी की घटनाएं थमने की उम्मीद है। वर्तमान में किसानों को अपना गल्ला बेचने के लिए न सिर्फ पूरा दिन बर्बाद करना पड़ता है बल्कि कभी कभी मंडी में रात भी गुजारने को मजबूर हो जाते हैं। इतना ही नहीं किसानों को गल्ला बेचने के लिए व्यापारियों को भी तलाशना पड़ता है। ई मंडी संचालन में ये दिक्कतें खत्म हो जाएंगी, वे घर बैठे ही अपना अनाज का सौदा तय कर तय स्थान पर तुलाई करा सकेंगे।
ई-मंडी से किसानों को उनकी उपज का रिकॉर्ड संधारण रियल टाइम ऑनलाइन होगा। किसान अपनी उपज की नीलामी सीधे मंडी प्रांगण के नीलामी स्थलों पर करा सकेंगे। प्रवेश, अनुबंध, तौल, और भुगतान के बाद, मोबाइल पर एसएमएस और वाट्सएप मैसेज मिलेंगे।
दतिया जिले की सेंवढ़ा, भांडर और दतिया मंडियों का ई-संचालन 1 अप्रेल को शुरू होने जा रहा है। मंडियों के ई-संचालन से किसानों को समय की बचत होगी। इसके अलावा भ्रष्टाचार का शिकार होने की संभावना कम होगी। वहीं शासन की जवाबदेही बढ़ जाएगी।
व्यापारियों को होंगे ये लाभ:
व्यापारी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए फसल खरीदी कर सकेंगे। इससे उन्हें मंडी जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। लिहाजा उनके लिए भी ये कदम सरलता और सुविधा भरा होगा। ई- मंडी में सभी लेन-देन पारदर्शी होते हैं, जिससे व्यापारी उचित मूल्य पर फसल खरीद सकते हैं।
व्यापारी विभिन्न किसानों से सीधे जुड़ सकते हैं और अपनी जरूरत के अनुसार फसल खरीदने के लिए विस्तरित विकल्प उपलब्ध होंगे। किसानों के अलावा गल्ला व्यापारियों को भी ऑनलाइन प्रक्रिया से समय की बचत होगी। व्यापारी वर्ग गल्ला खरीदारी को प्रभावी ढंग से कर सकेंगे।
ये होंगे फायदे
ई-मंडी संचालन से आंकड़ों का विश्लेषण ठीक तरह से होगा। शासन को कृषि और व्यापार से जुड़े सटीक आंकड़े प्राप्त होंगे। जिनका उपयोग सरकार द्वारा नीतियों और योजनाओं के निर्माण में किया जा सकता है। वहीं कृषि सुधार के क्षेत्र में भी संभावनाएं बढ़ेंगी। ई- मंडी के जरिए शासन को किसानों की जरूरतों और समस्याओं की बेहतर जानकारी उपलब्ध हो सकेगी। इससे कृषि सुधार की नीतियां बनाने में सरकार को मदद मिलेगी। इतना ही नहीं ई-मंडी से आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा। पारदर्शी और प्रभावी कृषि व्यापार से राज्य की आर्थिक स्थिति में सुधार के आसार प्रबल होंगे।
ज्यादातर किसान भी ई मंडी व्यवस्था को बेहतर बता रहे हैं। किसानों का कहना है कि इससे उन्हें अपना गल्ला बेचने के लिए न तो व्यापारियों के पास जाने की जरूरत होगी और न ही तुलाई के लिए अपनी बारी आने के इंतजार में रतजगा करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। दरअसल नई व्यवस्था में किसान घर बैठे ही अपने गल्ले का विक्रय कर सकेंगे।
कृषक परम सिंह बताते हैं कि ई-मंडी शुरू हो जाने से कई प्रकार की परेशानियों से मुक्ति मिलेगी। ये किसानों के लिए बेहतर व्यवस्था साबित होगी। किसान बाबूलाल कुशवाह के अनुसार ई-मंडी संचालन में पारदर्शिता बढ़ेगी। इससे धोखाधड़ी नहीं हो पाएगी। इसके अलावा समय की बचत से भी बड़ी राहत मिलेगी।
कृषि उपज मंडी दतिया के सचिव फूल सिंह जाटव बताते हैं कि ई-मंडी संचालन से किसानों को ही नहीं व्यापारियों को भी सुविधा होगी। काम में पारदर्शिता आएगी। इसके लिए 1 अप्रैल से जिले की तीनों प्रमुख कृषि उपज मंडियों का ई-संचालन शुरू होने जा रहा है।