पर्यावरण पर मार
नरवाई जलाने से खेतों की उर्वरक क्षमता कम होती है और पर्यावरण को भी भारी नुकसान पहुंचता है। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि इस आग से खेतों में मौजूद लाभकारी सूक्ष्मजीव नष्ट हो जाते हैं, जिससे भविष्य में फसल की गुणवत्ता प्रभावित होती है। साथ ही, इससे वायु प्रदूषण बढ़ता है और जल संकट भी उत्पन्न होने की आशंका रहती है। इतना भरना होगा जुर्माना
किसानों को उनकी भूमि के आकार के आधार पर दंडित किया जाएगा :
- दो एकड़ तक के खेत वाले किसान–2500 रुपये का जुर्माना
- 2 से 5 एकड़ के मालिक: 5000 रुपये का दंड
- 5 एकड़ से ज्यादा भूमि वाले किसान 15000 रुपये तक की आर्थिक सजा
बीते साल हुई कार्रवाई, लेकिन वसूली अधूरी
पिछले साल आधा दर्जन किसानों पर पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत मामले दर्ज किए गए थे। हालांकि, प्रशासन इन किसानों से जुर्माना वसूलने में असफल रहा। बीते साल नरवाई जलाने के कई मामले सामने आए—
- परासरी निवासी प्रमोद कुमार– 11 अप्रैल 2024 को मामला दर्ज
- बहादुरपुर निवासी साराम– 17 अप्रैल 2024 को केस दर्ज
- झडिया निवासी मंशाराम – 14 मई 2024 को मुकदमा दर्ज
- उनाव निवासी संतराम सिंह – 29 मई 2024 को नामजद
अब की बार कार्रवाई होगी पक्की
इस बार प्रशासन नरवाई जलाने वालों पर कड़ी निगरानी रख रहा है। कलेक्टर ने साफ कर दिया है कि इस नियम का उल्लंघन करने वालों से हर हाल में जुर्माना वसूला जाएगा। किसानों को चाहिए कि वे पराली जलाने के बजाय उसे खेतों में मिलाकर जैविक खाद बनाने की दिशा में कदम बढ़ाएं, ताकि पर्यावरण सुरक्षित रहे और खेतों की उर्वरता भी बनी रहे।