निरीक्षण कमजार नजर आए मवेशी
निरीक्षण के दौरान कई मवेशी इतने कमजोर नजर आए कि वे खड़े भी नहीं हो पा रहे थे। हालात इतने गंभीर थे कि गोशाला के पास नदी किनारे कई मवेशियों के कंकाल भी मिले, जिससे उनके साथ हुई लापरवाही उजागर हुई। जिसके बाद पत्रिक ने 6 अप्रेल को नरसिंहगढ गोशाला की मृत गायों के दर्जनों कंकाल मिले, मचा हड़कंप, नहीं दफनाया शीर्षक से खबर भी प्रकाशित की थी।
जिम्मेदार विभागों में समन्वय की कमी
डॉ. पांडे के इस बयान से स्पष्ट है कि जिम्मेदार विभागों के बीच समन्वय की कमी के चलते मवेशियों की हालत दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है। अब देखना यह होगा कि पंचायत और स्थानीय प्रशासन इस संवेदनशील मामले को गंभीरता से लेकर मवेशियों की हालत सुधारने के लिए कोई ठोस कदम उठाते हैं या नहीं।
दोषियों पर की जाए कार्रवाई
स्थानीय ग्रामीणों और गौसेवकों ने मांग की है कि गोशाला की विस्तृत जांच कर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में ऐसी लापरवाही दोहराई न जा सके। स्थानीय लोगों ने मवेशियों की दुर्दशा पर ङ्क्षचता जाहिर की है और जिम्मेदार विभागों की चुप्पी पर सवाल उठाए हैं। लोगों का कहना है कि लंबे समय से गोशाला में मवेशियों की देखभाल नहीं हो रही है। न तो उन्हें पर्याप्त चारा-पानी मिल पा रहा है और न ही समय पर इलाज की व्यवस्था है। बावजूद इसके, अब तक किसी प्रशासनिक अधिकारी ने स्थिति का जायजा लेने की कोशिश नहीं की है।
इस संबंध में जब पशु चिकित्सा विभाग से सवाल किया गया, तो उपसंचालक डॉ. संजय पांडे ने कहा, गोशाला का संचालन हमारे विभाग के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता। हमारा विभाग केवल पशुओं के स्वास्थ्य के लिए उत्तरदायी है। गोशाला का संचालन संबंधित समूह और पंचायत द्वारा किया जाता है। कार्रवाई संबंधित विभाग कर सकता है।