बजट के बिना रुके विकास कार्य
छिंदवाड़ा नगर निगम गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा है। 48 वार्डों में पिछले तीन साल से सड़क, पुल-पुलिया और नालों का निर्माण ठप पड़ा है। ट्रांसपोर्ट नगर के निर्माण के लिए 19 करोड़ रुपए की जरूरत बताई जा रही है, जबकि महापौर विक्रम अहके ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय से 130 करोड़ रुपए की मांग रखी थी। सरकार ने उन्हें बजट सत्र का इंतजार करने की सलाह दी है। मेडिकल कॉलेज का निर्माण भी अधर में
छिंदवाड़ा मेडिकल कॉलेज सिम्स का निर्माण बजट के अभाव में रुक गया है। इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट को 200 करोड़ रुपए की जरूरत है। स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार के लिए यह बजट बेहद आवश्यक है, लेकिन अभी तक फंडिंग को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है।
ग्रामीण क्षेत्र और अन्य योजनाएं भी प्रभावित
नगर निगम के अधीन संचालित रसोईघरों को पिछले एक साल से फंड नहीं मिला। ग्रामीण इलाकों की पंचायतें भी बजट संकट से जूझ रही हैं। वहीं, सिंचाई कॉम्प्लैक्स, जेल कॉम्प्लैक्स, मिनी स्मार्ट सिटी, टाउन हॉल पुरातात्विक धरोहर, ऑडिटोरियम हॉल और भरतादेव जैव विविधता पार्क जैसे पुराने प्रोजेक्ट भी ठंडे बस्ते में चले गए हैं।
विधायकों को उठानी होगी आवाज
जिले के इन रुके हुए विकास कार्यों को गति देने के लिए विधायकों को विधानसभा में मजबूती से बजट की मांग उठानी होगी। यदि छिंदवाड़ा को 250 करोड़ रुपए या उससे अधिक का बजट नहीं मिला, तो विकास योजनाओं के पटरी पर आने में लंबा वक्त लग सकता है।