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छिंदवाड़ा

इंस्टाग्राम के जरिए 10 साल बाद मिले बिछड़े भाई-बहन, चौंका देगी ये कहानी

Brother and sister reunited: 10 साल बाद सोशल मीडिया ने बिछड़े भाई बहन को मिलाया। सोशल मीडिया प्लेटफार्म इंस्टाग्राम पुनर्मिलन का माध्यम बना। पुलिस ने भी निभाई अहम भूमिका।

छिंदवाड़ाApr 11, 2025 / 08:23 am

Akash Dewani

Brother and sister reunited through instagram in chhindwara mp after 10 years of unfortunate seperation at hyderabad station
Brother and sister reunited: मध्य प्रदेश के पांढुर्ना से एक अजब-गजब खबर सामने आई है। यहां लव्हाना गांव के निवासी लक्ष्मण पन्द्रे की किस्मत ने उस समय करवट ली जब उसने वर्षों की मेहनत के बाद एक एंड्रायड मोबाइल खरीदा। तकनीक से अनजान लक्ष्मण ने जब इंस्टाग्राम पर अपना खाता बनाया, तो उसे ये अंदाजा भी नहीं था कि यही प्लेटफॉर्म उसे अपने खोए हुए परिवार से फिर मिलवा देगा। सोशल मीडिया पर सक्रिय होते ही उसने अपनी बहन सुरेखा का नाम सर्च किया, और कुछ ही समय में वह उससे संपर्क स्थापित करने में सफल रहा।

स्टेशन पर छूट गया था भाई

लक्ष्मण 9 जून 2015 को अपने साथियों के साथ मजदूरी के लिए हैदराबाद रवाना हुआ था। जनरल डिब्बे की जबरदस्त भीड़ के कारण वह हैदराबाद स्टेशन पर नहीं उतर सका और ट्रेन उसे बेंगलुरु, कर्नाटक ले गई। भाषा की दीवार, अपरिचित शहर और पहचान का कोई भी सहारा न होने के कारण लक्ष्मण को शुरुआती दिनों में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। हालांकि, उसने हार नहीं मानी और बेंगलुरु ग्रामीण सिटी के देवनाहल्ली टाउन में एक दयालु परिवार के सहारे नया जीवन शुरू किया।

मेहनत से पाया नया जीवन

बेंगलुरु में कुछ दिनों तक मजदूरी करने के बाद लक्ष्मण ने वहीं रहने का निर्णय लिया। स्थानीय लोगों के साथ घुलते-मिलते हुए उसने धीरे-धीरे कन्नड़ भाषा भी सीख ली। मेहनत और लगन से काम करते हुए उसने अपना जीवन फिर से संवार लिया। जब उसकी आर्थिक स्थिति थोड़ी बेहतर हुई तो उसने एंड्रायड मोबाइल खरीदा और तकनीक से जुड़ने की शुरुआत की।
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सोशल मीडिया से हुआ परिवार से संपर्क

इंस्टाग्राम पर खाता बनाने के कुछ समय बाद ही लक्ष्मण को अपनी बहन सुरेखा का प्रोफाइल मिला। पहले तो उसे यकीन नहीं हुआ, लेकिन धीरे-धीरे बातचीत के दौरान उन्होंने पुरानी यादें साझा कीं और यह स्पष्ट हो गया कि सामने वाला कोई और नहीं, बल्कि उसका ही खोया हुआ भाई है। बहन से मिली जानकारी के आधार पर उसने अपने गांव और घर का पता प्राप्त किया और वापसी की योजना बनाई।

परिवार में खुशी का माहौल

लक्ष्मण जैसे ही 10 साल बाद पांढुर्ना लौटा, उसके भाई देवीदास, गणेश और बहन सुरेखा की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। पूरे परिवार की आंखें नम थीं और गांव में भी इस मिलन की कहानी चर्चा का विषय बन गई। भाई गणेश ने बताया कि उन्होंने लक्ष्मण को ढूंढने की बहुत कोशिश की, लेकिन उसका कुछ भी पता नहीं चल पाया था। आज उसे अपने बीच देखकर पूरा परिवार धन्य महसूस कर रहा है।
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पुलिस की सतर्कता और सेवा प्रशंसनीय

थाना निरीक्षक अजय मरकाम ने जानकारी दी कि पांढुर्ना थाने में दर्ज लापता लोगों की जानकारी लगातार अपडेट की जाती है। जब पुलिस को पता चला कि लक्ष्मण अपनी बहन के साथ सोशल मीडिया पर संपर्क में है, तो उन्होंने तुरंत सक्रियता दिखाई और अपनी टीम को बेंगलुरु भेजा। पुलिस टीम ने देवनाहल्ली टाउन पहुंचकर लक्ष्मण की पहचान सुनिश्चित की और सुरक्षित वापसी की व्यवस्था की।

गांव में हर जुबां पर है लक्ष्मण की कहानी

लक्ष्मण के लौटने की यह मार्मिक और प्रेरणादायक कहानी अब पांढुर्ना के हर गली-मोहल्ले में सुनाई जा रही है। यह घटना बताती है कि तकनीक, प्रयास और इंसानी रिश्तों की ताकत मिलकर असंभव को भी संभव बना सकती है। लक्ष्मण का कहना है कि अब वह हमेशा के लिए पांढुर्ना में अपने परिवार के साथ रहेगा और दोबारा कभी अपनों से दूर नहीं जाएगा।

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