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छिंदवाड़ा

एमपी के इन जिलों में 66 फीसदी डॉक्टरों के पद खाली

सिविल अस्पताल, सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में उपचार नहीं मिलने से जिला मुख्यालय के जिला अस्पताल पर मरीजों का लोढ़ बढ़ता जा रहा है।

छिंदवाड़ाApr 17, 2025 / 05:35 pm

Manish Gite

chhindwara
जितेंद्र सिंह राजपूत

government doctor: छिंदवाड़ा व पांढुर्ना की बात की जाए तो आबादी 24 लाख के करीब पहुंच गई है, छिंदवाड़ा शहरी क्षेत्र को छोड़ दिया जाए तो छिंदवाड़ा व पांढुर्ना के सिविल, सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में स्वास्थ्य व्यवस्था नाकाफी साबित हो रही है। वर्तमान में दोनों जिलों में स्वास्थ्य विभाग के स्वीकृत पदों में से 66 प्रतिशत डॉक्टरों के पद खाली पड़े हुए है, ऐसे में कैसे चिकित्सा व्यवस्था सुधर पाएगी यह सवाल खड़ा हो रहा है।
स्वास्थ्य व्यवस्था का मुख्य स्तंभ डॉक्टर होते है, जिनकी कमी से सबसे ज्यादा असर ग्रामीण क्षेत्रों में देखने को मिल रहा है। सिविल अस्पताल, सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में उपचार नहीं मिलने से जिला मुख्यालय के जिला अस्पताल पर मरीजों का लोढ़ बढ़ता जा रहा है। डॉक्टरों के अलावा जिले भर के शासकीय अस्पतालों में टेक्नीशियन, फार्मासिस्ट व रेडियोग्राफर के पद खाली पड़े हुए है।


अमरवाड़ा, हर्रई में सबसे ज्यादा कमी

डॉक्टरों की सबसे ज्यादा कमी अमरवाड़ा, हर्रई जैसे दूरस्थ आदिवासी अंचल के साथ ही सौंसर व पांढुर्ना में भी बनी हुई है। जितने पद स्वीकृत है उससे आधे पद वर्तमान में नहीं भरे हुए है। हर्रई में तो 26 डॉक्टरों के पदों में से सिर्फ 08 डॉक्टर कार्यरत है। अमरवाड़ा में भी 24 में से 21 पद रिक्त है। ब्लॉक मुख्यालय पर डॉक्टर तो मिल जाते है लेकिन दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों के स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर नहीं होने पर ब्लॉक मुख्यालय के सिविल अस्पताल तथा जिला अस्पताल पर आकर उपचार कराना पड़ता है।

सभी जगह बनी हुई है विशेषज्ञ की कमी

जिले के शासकीय अस्पतालों में स्पेशलिस्ट डॉक्टरों के पद स्वीकृत है लेकिन पद रिक्त पड़े हुए है। कहीं पर शिशु रोग, नेत्र रोग, मेडिकल ऑफिसर, स्त्री रोग विशेषज्ञ, सर्जिकल विशेषज्ञ तथा अन्य की कमी बनी हुई है। डॉक्टर की कमी होने पर मरीजों को जिला मुख्यालय के अस्पताल भेजा जाता है या फिर मरीज प्राइवेट अस्पताल में पहुंचकर उपचार कराता है। कहने के लिए कई अस्पतालों में डिलेवरी पाइंट बनाए गए है लेकिन विशेषज्ञ ही नहीं है तो उपचार कैसे संभव होगा। शाम के बाद ग्रामीण क्षेत्रों के अस्पतालों में तो कफ्यू की स्थिति बनती है तथा मरीज को जिला मुख्यालय रेफर कर दिया जाता है।

52 प्रतिशत टेक्नीकल पद है रिक्त

वर्तमान में छिंदवाड़ा व पांढुर्ना के सिविल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तथा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में 52 प्रतिशत टेक्नीकल पद रिक्त पड़े हुए है। जिसमें फार्मासिस्ट, लैब टेक्नीशियन, रेडयोग्राफर, संचालित योजनाओं में संचालन के पद रिक्त पड़े हुए है। फार्मासिस्ट नहीं होने पर वहां पर पदस्थ नर्सिंग स्टॉफ व अन्य पद ही फार्मासिस्ट की जिम्मेदारी निभाते है। लैब टेक्नीशियन के पद रिक्त होने पर अन्य स्थानों पर पदस्थ फार्मासिस्ट व जिला अस्पताल सेंपल पहुंचकर जांच होती है। समय पर सभी सुविधाएं नहीं मिलने पर ग्रामीण क्षेत्रों में मरीज परेशान होते है।
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फैक्ट फाइल

सिविल अस्पताल 06 (अमरवाड़ा, चांदामेटा, हर्रई, पांढुर्ना, परासिया, सौंसर)
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र 11
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र 70

सिविल, सामुदायिक व प्राथमिक में डॉक्टर के स्वीकृत व रिक्त पद

स्थान स्वीकृत कार्यरत रिक्त
पिंडरईकला 08 02 06
मोहखेड़ 12 04 08
बिछुआ 13 07 06
सौंसर 35 11 24
पांढुर्ना 38 19 19
जुन्नारदेव 21 06 15
तामिया 11 04 07
अमरवाड़ा 24 03 21
हर्रई 26 0818
परासिया 45 16 29
चौरई 11 03 08
कुल 244 83 161

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अन्य महत्वपूर्ण पदों की सिविल, सामुदायिक व प्राथमिक केंद्रों में स्थिति

पदनाम स्वीकृत कार्यरत रिक्त
लैब टेक्नीशियन 49 28 21
फार्मासिस्ट 104 41 65
रेडियोग्राफर 16 14 02
कुल 169 83 88

कमी स्वीकार की

सिविल, सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टर व टेक्नीकल स्टाफ की कमी है। उसके बाद भी व्यवस्थाएं बनाई जाती है। शासन स्तर पर रिक्त पदों की भर्ती की जाती है, जिसके लिए समय-समय पर विभाग को अवगत कराया जाता है। रिक्त पदों के भरे जाने पर स्वास्थ्य व्यवस्थाएं और बेहतर होगी।
-डॉ एनके शास्त्री, सीएमएचओ, छिंदवाड़ा

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