मंडी के दाम और समर्थन मूल्य में अंतर
किसानों का मानना है कि मंडियों में गेहूं के दाम सरकार द्वारा निर्धारित समर्थन मूल्य से अधिक मिलते हैं। पिछले कुछ वर्षों में मंडियों में किसानों को 200 से 300 रुपए प्रति क्विंटल ज्यादा मिल रहे हैं, जिसके चलते वे पंजीयन कराने में हिचकिचा रहे हैं। हालांकि, इस बार ऐसा हो सकता है कि मंडी में दाम घटकर 2400 से 2500 रुपए प्रति क्विंटल के बीच आ जाएं। वर्तमान में मंडियों में गेहूं का दाम 3000 रुपए प्रति क्विंटल से घटकर 2800 रुपए हो गया है, और जैसे-जैसे गेहूं की आवक बढ़ेगी, दाम और गिर सकते हैं।
पंजीयन में देरी और प्रशासनिक समस्याएं
पंजीयन की प्रक्रिया में देरी का एक कारण यह है कि कई किसानों की ई-केवाईसी पूरी नहीं हो पाई है और राजस्व विभाग ने गिरदावरी समय पर पूरी नहीं की। इसके अलावा, जिला सहकारी केंद्रीय बैंक ने पंजीयन केंद्रों को आईडी और पासवर्ड 10 दिन बाद जारी किए, जिससे पंजीयन में और देरी हुई। जिले में इस बार 100 पंजीयन केंद्र बनाए गए हैं, जिनमें 20 नए केंद्र जोड़े गए हैं, लेकिन फिर भी पंजीयन की संख्या में गिरावट देखने को मिल रही है।
कम बारिश और खराब मौसम से घटेगी पैदावार
इस साल जिले में गेहूं की पैदावार घटने का अनुमान है। इसका कारण यह है कि किसानों को बोवनी के लिए उर्मिल नदी से पानी देरी से मिला और जिले में औसत से कम बारिश हुई। इसके अलावा, सर्दियों में बारिश भी बहुत कम हुई, जिससे फसल की गुणवत्ता पर असर पड़ा है। मार्च में दिन के तापमान में वृद्धि होने से गेहूं की फसल जल्द पकने लगी है और पीली पड़ रही है, जिससे पैदावार पर असर पड़ेगा।
समर्थन मूल्य और बोनस से पंजीयन में वृद्धि की उम्मीद
भले ही पिछले वर्षों में पंजीयन की संख्या घटती जा रही हो, लेकिन इस बार पंजीयन संख्या में बढ़ोतरी की उम्मीद जताई जा रही है। सीताराम कोठारे, जिला खाद्य अधिकारी ने बताया कि सरकार ने गेहूं के समर्थन मूल्य में वृद्धि की है और समय की कमी के कारण अब अधिक किसान पंजीयन के लिए पंजीयन केंद्रों पर पहुंचने लगे हैं।